मौत को हरा पांच करोड़ जीते
८ जनवरी २०१३सनमीत कौर ने बताया कि चार साल पहले उन्हें पेट में ट्यूमर हो गया था. उस समय छह महीने के लिए वह पूरी तरह बिस्तर पर थीं. डॉक्टरों ने भी उनकी स्थिति पर संदेह जताया था. सनमीत अपनी हिम्मत का श्रेय पति को देती हैं, "इंसान का खुद में विश्वास होना कितना जरूरी है यह मेरे पति ने सिखाया है." उन्होंने बताया कि केबीसी में खेलना और जीतकर लौटना हमेशा से उनका सपना था. बीमारी के समय भी उनके पति ने उन्हें किताबें ला कर दीं और उस निराशाजनक समय में भी यही बताते रहे कि तुम्हें एक विजेता के रूप में इस बीमारी से बाहर आना है.
किस्मत बड़ी या ज्ञान
सनमीत मानती हैं कि जीवन में किस्मत और ज्ञान दोनों का हाथ होता है, "किस्मत ने मुझे दोबारा जीने का मौका दिया. लाखों कॉल्स में से मेरी कॉल का चुना जाना भी किस्मत है. ज्ञान जरूरी है लेकिन यह किस्मत की बात है कि पांच करोड़ रुपये जीतने के लिए मुझे वही सवाल मिला जिसका मुझे जवाब पता था."
सनमीत ने बताया जब उन्होंने 5 करोड़ के लिए आखिरी सवाल पर खेलने का फैसला किया तो उनके पति समेत बाकी लोग भी डर गए. वह केबीसी में सिर्फ 25 से 50 हजार तक की धनराशि की उम्मीद से आई थीं.
कैसे की तैयारी
सनमीत कुछ घरेलू वजहों से केवल 12वीं तक ही पढ़ाई कर पाई हैं. उसके बाद उनकी शादी हो गई. उन्होंने बताया कि शादी के बाद उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. हर तरह की किताबें पढ़ने में भी उनकी रुचि रही है. वह कहती हैं, "मेरे पास उच्च डिग्री भले न हो लेकिन मैंने पढ़ा सब कुछ है. केबीसी के लिए प्राथमिक चयन के बाद मैंने इंटरनेट से सारी ताजा जानकारी हासिल की. इस सारे ज्ञान ने मुझे जीतने में मदद की."
जीत का मंत्र
सनमीत सकारात्मक सोच वाली महिला हैं जिन्हें जल्दी शादी और ट्यूमर के बावजूद भी कभी रुकना मंजूर नहीं, "मेहनत और सकारात्मक सोच के साथ इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है. मैं अपनी बेटियों को भी यही बताती हूं. ज्ञान किसी की जागीर नहीं, इसे आप जितना हासिल कर सकते हैं कर लेना चाहिए. जब मन में कुछ हासिल करने की इच्छा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है."
इनाम में मिली रकम को सनमीत कैसे खर्च करना चाहेंगी यह अभी उन्होंने तय नहीं किया है. उन्होंने बताया अभी तो जश्न का माहौल चल रहा है. वह अपने परिवार के साथ बैठ कर आराम से सोचेंगी कि इससे क्या किया जाए.
रिपोर्टः समरा फातिमा
संपादनः ए जमाल