1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

खतरे से बचने के लिए एक बटन

१४ जुलाई २०१४

हमले या खतरे की स्थिति में पत्रकारों या एक्टिविस्टों की मदद के लिए बनाया खास ऐप. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पैनिक बटन नाम का ऐप लॉन्च किया है, जिसे दबाते ही मुश्किल में फंसे इन लोगों तक मदद पहुंचेगी.

https://p.dw.com/p/1CcTv
Panic Button App von Amnesty International
तस्वीर: Amnesty International

हमले या खतरे की स्थिति में पत्रकारों या एक्टिविस्टों की मदद के लिए बनाया खास ऐप. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पैनिक बटन नाम का ऐप लॉन्च किया है, जिसे दबाते ही मुश्किल में फंसे इन लोगों तक मदद पहुंचेगी.

पैनिक बटन वैसे तो वृद्धाश्रमों या फिर बूढ़े लोगों के लिए बनाया जाता रहा है. एक बटन दबा कर वह अस्पताल में सूचित कर सकते हैं कि वह बीमार हैं. सामान्य तौर पर यह कलाई पर बांधे जा सकने वाले एक बैंड के रूप में होता है.

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संकट ग्रस्त इलाकों में काम करने वाले पत्रकारों और एक्टिविस्टों के लिए अब ऐसा ही एक पैनिक बटन तैयार किया है. संगठन ने इसके लिए इन्फॉर्मेशन इनोवेशन लैब और अन्य साझेदारों के साथ हाथ मिलाया. इसके ऐप के जरिए मोबाइल का पॉवर बटन पैनिक बटन के तौर पर काम करने लगता है. अपहरण या हमले जैसी आपात स्थिति में वे इस बटन को दबा कर मदद ले सकते हैं.

इस ऐप को मोबाइल के ऑन ऑफ स्विच को दबा कर एक्टिवेट किया जा सकता है. इसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है ताकि बिना किसी आवाज के आपात बटन दबाया जा सके. पॉवर बटन को जल्दी जल्दी दो तीन बार दबाने के बाद ऐप पहले से सेट किए हुए आपात संपर्क पर जीपीएस लोकेशन के साथ एसएमएस भेजता है. स्मार्ट फोन पर इस ऐप को देखना आसान नहीं. फिलहाल यह एंड्रॉयड फोन के लिए गूगल प्ले पर फ्री है. पैनिक बटन नाम के वैसे तो और भी ऐप हैं. लेकिन एमनेस्टी का यह ऐप आईआईलैब ने विकसित किया है. ऐप डेवलपमेंट में शामिल एमनेस्टी इंटरनेशनल की तान्या ओ कैरल ने बताया, "हम अभी 16 देशों के एक्टिविस्टों को सीखा रहे हैं कि ये ऐप कैसे इस्तेमाल करना. उन्हें निगरानी और जासूसी के खतरे के बारे में भी बता रहे हैं जो स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने पर पैदा हो सकता है."

संकटग्रस्त इलाकों में स्मार्टफोन को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है. पत्रकार और फोटोग्राफर डैनियल एटर बताते हैं, "पहली बार जब मैं सीरिया गया तो मैं अपना मोबाइल कभी ऑन नहीं रखता था. यह बहुत ही खतरनाक है अगर आपकी लोकेशन पता चल जाए." वैसे भी सीरिया के नेटवर्क में किसी विदेशी फोन का पता चलना खतरनाक साबित हो सकता है. इतना ही नहीं अपहरण की स्थिति में सबसे पहले दुश्मन का मोबाइल फोन ले लिया जाता है.

हालांकि इस ऐप को विकसित करने वाले लोगों का कहना है कि आने वाले दिनों में इसको और बेहतर किया जा सकता है. जैसे कि आपात बटन दबाते से ही फोन की सारी जानकारी भी हट जाए. हालांकि निश्चित ही इस ऐप का इस्तेमाल करके कई मामलों में जानें भी बचाई जा सकती है.

रिपोर्टः मार्कुस लुटिके/एएम

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी