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"मोदी को समन भेजने का विकल्प खुला"

१ अप्रैल २०१०

गुजरात दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग ने कहा है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछताछ के विकल्प खुले हैं. आयोग ने हाई कोर्ट में कहा कि उन्हें समन न भेजने का फैसला अंतिम नहीं है. मोदी की एसआईटी के सामने पेशी हो चुकी है

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नरेंद्र मोदीतस्वीर: AP

गुजरात हाई कोर्ट ने 22 मार्च को आयोग से पूछा था कि मोदी को समन न भेजने का उसका फैसला अस्थाई या अंतिम. इस बारे में अब आयोग ने अपना स्पष्टीकरण दिया है. राज्य के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत में नानावती आयोग के सचिव का लिखा एक पत्र पेश किया है जिसे रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है.

जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय और जस्टिस आकिल कुरैशी ने अपने आदेश में कहा, "नानावती आयोग का पत्र कहता है कि 8 सितंबर 2008 का उसका आदेश अंतिम नहीं है. इस पत्र को देखते हुए मामला 17 जून तक स्थगित किया जाता है."

अहमदाबाद की गुलबर्गा सोसायटी में हुए दंगों के सिलसिले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष जांच टीम एसआईटी के सामने लगभग 9 घंटे लंबी पूछताछ हो चुकी है.

गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीड़ितों की तरफ से एक गैर सरकारी संगठन जन संघर्ष मंच (जेएसएम) की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 22 मार्च को महाधिवक्ता से स्पष्टीकरण पेश करने को कहा. जेएसएम के वकील मुकुल सिन्हा ने कहा कि आयोग ने अदालत को बताया है कि उन्होंने पूछताछ के लिए मोदी को समन भेजने का अंतिम फैसला नहीं किया है. सिन्हा को नहीं लगता कि 17 जून से पहले आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेगा.

पिछले साल नानावती आयोग ने मोदी और तीन अन्य लोगों से पूछताछ की अपील को यह कहकर ठुकरा दिया था कि उन्हें इसका औचित्य नहीं दिखाई देता. अपने आदेश में आयोग ने कहा कि जेएसम के आवेदन में लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं और गलत धारणाओं पर आधारित हैं. आयोग के आदेश के विरोध में ही जेएसएम ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दंगों के मामलों में मुख्यमंत्री मोदी के अलावा उस वक्त के गृह मंत्री गोर्धन जादाफिया, स्वास्थ्य मंत्री अशोक भट और डीसीपी (जोन5) आरजे सावनी को पूछताछ के लिए बुलाने का आग्रह किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य