मैच फिक्सिंग होगा 'खास' अपराध
१० मई २०१४खेल के बड़े बड़े मुकाबलों में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगने के अनगिनत मामले सामने आते रहे हैं. खेलों में बढ़ते भष्टाचार के चलते अगले साल दो बड़े खेल मुकाबलों का आयोजन करने वाले न्यूजीलैंड प्रशासन ने इस मामले में सख्त कदम उठाने का फैसला किया है. पहली बार मैच फिक्सिंग को एक खास तरह के अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा.
खेल मंत्री मरे मैककली का मानना है कि बीते सालों में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोहों ने खेलों के कई नियम कायदों में कमजोरी का बहुत फायदा उठाया है. खेलों से जुड़े जुओं में भारी फायदा कमाने के लिए इन अपराधियों ने कई गलत हथकंडे भी अपनाए हैं. मैच फिक्सिंग को अपराध का दर्जा देने की घोषणा करते हुए मैककली ने बताया कि इसका दोषी पाए जाने पर अपराधी को सात साल तक की जेल हो सकती है. उन्होंने कहा, "इस तरह की गतिविधियां ना सिर्फ खिलाड़ियों को जोखिम में डालती हैं, बल्कि खेल को भी बदनाम करती हैं."
अब तक कोई कानून नहीं
अभी मौजूद कानूनों के तहत कुछ मामलों में आम धोखाधड़ी का केस बन सकता है लेकिन खेलों के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था. कई देशों में मैच फिक्सिंग के बारे में साफ कानून ही नहीं हैं. ऐसे में इन मामलों में जांच और कार्यवाही करना पूरी तरह से खेल कराने वाली ईकाईयों के ऊपर होता है. नए कानून से अंतरराष्ट्रीय खेल संगठन ज्यादा स्पष्ट तरीके से मैच फिक्सिंग के मामलों से निपट सकेंगे.
मैककली ने यह साफ किया कि यह कदम खास तौर पर न्यूजीलैंड में मैच फिक्सिंग की किसी तरह की आशंका के कारण नहीं उठाया गया है. दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि कहीं भी ऐसा होने की संभावना को भी पूरी तरह नहीं नकारा जा सकता.
सोमवार को स्पोर्ट न्यूजीलैंड से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि अगले साल होने वाले बड़े मुकाबलों से पहले सारे जरूरी कदम उठाए जाएंगे, "हमें यह सुनिश्चित करना है कि 2015 से पहले मैच फिक्सिंग के संभावित मामलों को रोकने के लिए ऐसे आपराधिक प्रतिबंध हों. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट और फुटबॉल दोनों ही खेलों में हमेशा ही मैच फिक्सिंग का खतरा मंडराता रहा है."
क्रिकेट का सबसे बड़ा कांड साल 2000 में सामने आया. तब दक्षिण अफ्रीकी टीम के तत्कालीन कप्तान हैंसी क्रोनिए, भारतीय कप्तान मुहम्मद अजहरूद्दीन और पाकिस्तानी कप्तान सलीम मलिक पर पैसे लेकर मैच फिक्स करने के आरोप में जीनव भर का बैन लगा दिया गया.
रिपोर्ट: ऋतिका राय (एएफपी)
संपादन: ईशा भाटिया