मेहनत से अफसर फिर चोरी से सिपाही
१२ दिसम्बर २०१०सिपाही पर अपने साथी अफसर के बैंक खाते से धोखाधड़ी करके पैसे निकालने का इल्जाम था. जेंटलमैन कैडेट आलोक कुमार तिवारी भारतीय सेना में एक जवान के तौर पर आया. उसने मेहनत की और कई परीक्षाएं पास करने के बाद वह अफसर बनने के लिए ट्रेनिंग लेने देहरादून की सैन्य अकादमी में पहुंच गया. लेकिन अब सेना में उसे दोबारा सिपाही बना दिया गया है.
आईएमए ने तिवारी को अकादमी से निकाल दिया था और उस पर 11 लाख 59 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगा दिया था. लेकिन तिवारी ने इस फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में अपील कर की. उसने अपना जेंटलमैन कैडेट का रैंक वापस मांगा और जुर्माना खारिज करने की भी मांग की.
तिवारी पर लगाया गया जुर्माना उसकी ट्रेनिंग पर आया खर्च है जो आर्मी कैडेट कॉलेज और आईएमए को उठाना पड़ा. अब यह पैसा सिपाही के तौर पर उसे मिलने वाली तन्ख्वाह से अगले 8-10 सालों तक कटता रहेगा.
तिवारी के वकील मेजर के रमेश ने बताया, "यह शख्स पहले एक जवान था और उसे अफसर बनाने के लिए ट्रेनिंग दी गई. अब सेना ने उसे वापस लाइन्स में भेज दिया है." लेकिन रमेश इस फैसले पर सवाल भी उठाते हैं. वह पूछते हैं कि अगर यह मामला एक नए भर्ती हुए कैडेट का होता तब सेना क्या करती.
तिवारी ने आर्मी कैडेट कॉलेज में दो साल तक ट्रेनिंग लेने के बाद 2009 में आईएमए को जॉइन किया था. इस साल पास होकर वह अफसर बनने वाला था. लेकिन इसी हफ्ते हुए पासिंग आउट परेड से दो महीने पहले ही वह अपने साथी के अकाउंट से पैसे निकालने के मामले में फंस गया. उसने एटीएम से 80 हजार रुपये निकाले.
तिवारी का मानना है कि उसने ट्रेनिंग के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया इसलिए उसे मिली सजा बहुत ज्यादा है. ज्यादा से ज्यादा उसे छह महीने और ट्रेनिंग में रहने की सजा दी जानी चाहिए थी ना कि अकादमी से निकाल देना चाहिए था.
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः एन रंजन