"मेरी जिंदगी से जुड़ा सवाल"
३० मई २०१४मैं डीडब्ल्यु की बहुत शुक्रगुजार हूं. आज सच में झटका सा लगा दिया. आज आपने जो सवाल पूछा है वह मेरी जिंदगी से भी जुड़ा हुआ है. मेरा 7 साल का हर्षद जो ठीक से नहीं बोल पाता, उसे इसी ऐप की तलाश थी. वह ढाई साल का था जब अचानक कड़े बुखार ने उसे इस हालत तक पहुंचा दिया. दवाइयों के बावजूद वह पूरी तरह ठीक नहीं हो सका. उसके बाद वह ठीक से न चल सकता है और न ही बोल सकता है. हम रोज दवा के साथ साथ भगवान से दुआ मांगते हैं कि वह जल्द से अच्छा हो जाये. पर अब डीडब्ल्यू हिन्दी से जुड़कर सफल हो सकेंगे ऐसा मेरा विश्वास है. आइपैड तो हम खरीद नहीं सकते लेकिन आप मुझे मार्गदर्शन तो जरूर करे कि इस ऐप का हमारे हर्षद के लिए कैसे उपयोग कर सकते हैं.
स्वाति भारते, जलना, महाराष्ट्र
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ईशा भाटिया जी का पेश करने का अंदाज और महेश झा जी की ट्रांसलेट करती आवाज दिल को छू जाती है. मानव से निर्मित रोबोर्ट आज इस कदर कार्यों को करने में सक्षम होता जा रहा है मानो आने वाले दिनों में हम पूर्ण रूप से रोबोर्ट पर निर्भर होकर रह जाएंगे. 24 मई का मंथन हमारे मस्तिष्क पर अपनी एक छाप छोड़ गया और आश्चर्यचकित करने वाले दृश्यों और अद्धभुत कारनामों एवं हैरान करने वाले शोधों से रूबरू करवा गया. विज्ञान में दिनों दिन होती प्रगति देख लगता है वह दिन दूर नही जब हम कल्पना मात्र करें और वह चीज हमारे समक्ष हाजिर हो जाएगी. बर्फ़ मे दबे 42 हजार साल पहले मैमथ हाथी के जीवाश्म से उसकी उत्पत्ति और पतन की जानकारी मिलना, शार्क रिबलेट से सीख लेकर वार्निश का निर्माण और उसको मानव जीवन में उपयोगी बनाना, वर्चुअल पावर प्लान्ट से अलग अलग जगहों से तैयार बिजली को एकत्रित करना, रेस्तरां को स्मार्ट शक्ल देना, यह सब एक सपने जैसा लगा. आज के आधुनिक जीवन में इस सच्चाई से अवगत कराने हेतु मंथन की पूरी टीम का धन्यवाद.
मुहम्मद सादिक आजमी, ग्राम लोहिया, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
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भारत में चुनाव के समय एक बड़ी कवरेज के लिए डीडब्ल्यू हिन्दी की टीम को धन्यवाद देना चाहूंगा. आपने जिस सच्चे,निष्पक्ष व व्यापक तरीके से सब कवर किया वह स्थानीय मीडिया कभी नहीं कर पाता. एक बात और आश्चर्यजनक लगी, आपका मई माह की पहेली का सवाल भी इन चुनावों के परिणाम से ही जुडा हुआ था. अचरज की बात है कि इस बार तो एक ही पार्टी को बहुमत मिला. इन सब के लिए डॉयचे वेले को मेरा सलाम..
महेश जैन, दिल्ली
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संकलन: विनोद चड्ढा
संपादन: आभा मोंढे