मेडल जीतो, ज्यादा जियो
२६ दिसम्बर २०१२ऑस्ट्रेलिया के विज्ञानियों ने इस बात का पता लगाया है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी इस नई रिसर्च के अनुसार जिन ओलंपिक खिलाड़ियों को मेडल मिले, वे बाकियों की तुलना में ज्यादा जी पाए. रिसर्च के अनुसार औसतन इन खिलाड़ियों की उम्र दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में 2.8 वर्ष अधिक थी. हालांकि मेडल के स्वर्ण, रजत या कांस्य होने से कोई फर्क नहीं पड़ा. कम से कम अब तक हुई रिसर्च से तो यही पता चला है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ फिलिप क्लार्क कहते हैं, "यह दिलचस्प है कि हम यह दिखा पा रहे हैं कि सोना जीतने से आपके जीवन को कोई खास फायदा नहीं मिलता. इसका मतलब यह हुआ कि जीतने के बाद आपको इनाम की जो राशि मिलती है वह कोई भूमिका नहीं निभाती."
इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 15,174 एथलीटों के आंकड़े जमा किए. 1896 में जब एथेंस में ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई, तब से अब तक मेडल जीत चुके लगभग सभी खिलाड़ियों के जीवन पर नजर डाली गयी. अमेरिका, जर्मनी, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों के जीवन के तथ्य जमा किए गए और उन्हीं के देशों के अन्य खिलाड़ियों से उन्हें मिलाया गया. प्रोफेसर फिलिप क्लार्क का कहना है, "इसे कई तरह से समझा जा सकता है. इसमें आपकी जीन का ढांचा, आपकी जीवनशैली, शारीरिक रूप से आप कितने सक्रिय हैं, धन दौलत और आपका रुतबा, जो आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलता है, ये सब अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं." क्लार्क का कहना है कि इन सब की भूमिकाओं को पूरी तरह समझना आसान नहीं है. उनके अनुसार अगर किसी 25 साल के व्यक्ति की सेहत के हिसाब से अंदाजा लगाना हो कि वह कब तक जिएगा तो उसका अनुमानित जीवन काल ज्यादा होगा क्योंकि एथलीट दूसरे लोगों की तुलना में ज्यादा तंदुरुस्त है.
क्लार्क का मानना है कि केवल अच्छा स्वास्थ्य ही सब नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर लेने के बाद खिलाड़ियों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आता है और इसका उनकी लंबी आयु में बड़ा हाथ होता है.
आईबी/एनआर (डीपीए)