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मुश्किल नहीं मोटापा कम करना

५ नवम्बर २०१४

मोटापा अकेले नहीं आता, साथ में डायबिटीज, दिल और हड्डियों की बीमारी भी लाता है. जर्मन डॉक्टर क्रिस्टीन ग्राफ मानती है मोटापे से लड़ना आसान बात नहीं. वह बता रही हैं कि कैसे इससे जिंदगी भर दूर रहा जाए.

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Speckgürtel
तस्वीर: picture-alliance/dpa

क्रिस्टीन ग्राफ मानती हैं कि संतुलित तरीके से खाना हमेशा आसान नहीं होता. जर्मन स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ग्राफ कहती हैं, "जब आपके चारों तरफ लजीज खाने की बात हो रही हो तो खुद को खाने से दूर रखना बेहद मुश्किल काम है." ग्राफ उन बच्चों और बड़ों का इलाज भी करती हैं जो तमाम कोशिशों के बाद भी खुद को संतुलित भोजन करना नहीं सिखा पाए और मोटापे के शिकार हैं. मोटापे का सीधा संबंध बॉडी मास इंडेक्स बीएमआई से है. यह इंसान की लंबाई और वजन के आधार पर मापा जाता है.

ग्राफ की टीम मल्टीमॉडल पर काम करती है. उनके मुताबिक मोटापे के शिकार लोग कसरत कम कर पाते हैं और खाना ज्यादा खाते हैं. उनके कार्यक्रम में युवाओं को सही डायट और कसरत का मिला जुला तरीका सिखाया जाता है. साथ ही उनकी मनोचिकित्सकीय काउंसलिंग भी की जाती है. एक्सरसाइज थेरेपी 11 महीने तक हफ्ते में दो दिन कराई जाती है.

एक्सरसाइज थेरेपी कराने वाले डाविड फ्रीजेन कहते हैं कि इस कार्यक्रम में अभिभावकों का भी अहम किरदार होता है इसलिए चार हफ्ते में एक बार उनको भी बुलाया जाता है. बच्चों को जितना उनका साथ मिलता है वे उतनी ही तेजी से सफल परिणाम दिखाते हैं.

श्टुटगार्ट के बुरगर हॉस्पिटल में साइकोसोमैटिक मेडिसिन के विशेषज्ञ मानुएल एंजेनहोफर के मुताबिक मोटापे के शिकार लोगों को कई भावनात्मक समस्याओं से भी गुजरना पड़ता है. वे घबराहट और बेचैनी में भी ज्यादा खाते हैं. एंजेनहोफर ग्राफ की तरह मरीजों को खानपान संबंधित चार्ट तो देते ही हैं साथ ही उनकी भावनात्मक परेशानियों को सुलझाने में उनकी मदद भी करते हैं. मरीज घबराहट में खाने की आदत को छोड़ दे तो भी खाने पीने की आदतों पर फर्क पड़ता है और वजन घटाने में मदद मिलती है.

मानुएल एंजेनहोफर का कहना है कि युवाओं के मुकाबले बड़ी उम्र के मरीज ज्यादा एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. उनकी एक्सरसाइज शुरुआत में हल्की फुल्की रखी जाती है जिसे धीरे धीरे बढ़ाया जाता है. एंजेनहोफर कहते हैं, "यहां सवाल सिर्फ जल्दी वजन घटाने का नहीं है, सवाल वजन घटाकर उसे बरकरार रखने का है." यह जीवन भर जारी रखने वाला काम है.

मरीजों को अपने लिए सही लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत है, ऐसे लक्ष्य जिन्हें वास्तव में हासिल किया जा सकता है. जीवनशैली बदल कर जीवन भर के लिए स्वस्थ और फिट रहने की संभावनाएं बनाए रखना इतना भी मुश्किल नहीं जितना शुरुआत में लगता है.

एसएफ/एमजे (डीपीए)