मीठी शुगर के कुछ कड़वे सच
दुनिया भर में चीनी की खपत और साथ ही सेहत पर इसका बुरा असर भी बढ़ता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो यह एक "वैश्विक महामारी" का रूप ले सकता है. देखें स्वाद में मीठी चीनी आपको कैसे बीमार बना रही है.
मोटापे का कारण
चीनी शरीर के भीतर पहुंच कर फैट में बदल जाती है. स्टार्च के मुकाबले चीनी का रूपांतरण दो से पांच गुना तेज गति से होता है. इस तरह जब हम चीनी खाते हैं तो एक तरह से वह शरीर की फैट वाली कोशिकाओं के लिए सप्लाई बन जाता है.
मूड पर असर
कम मात्रा में खाया जाए तो शुगर शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन के स्राव को प्रभावित करती है. सेरोटोनिन मूड अच्छा बनाने में भूमिका निभाता है. लेकिन ज्यादा शुगर ली जाए तो इससे घबराहट और अवसाद भी हो सकता है.
बुढ़ापे को जल्द दावत
शुगर हमारी त्वचा पर भी असर डालती है. ग्लाइसेशन की प्रक्रिया में शुगर के अणु और त्वचा के कोजेलन फाइबर से प्रतिक्रिया कर उसके प्राकृतिक लचीलेपन को नष्ट करते हैं. शुगर की अधिकता से माइक्रो-सर्कुलेशन प्रभावित होता है और नई त्वचा कोशिकाओं का बनना धीमा हो जाता है. इसका नतीजा झुर्रियों के रूप में दिखता है.
पेट और आंत पर बोझ
आंत में पाए जाने वाले माइक्रोफ्लोरा खाने को पचाने और पूरे पाचन तंत्र को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने का काम करते हैं. ज्यादा शुगर खाई जाए तो माइक्रोफ्लोरा की क्रिया पर बुरा असर पड़ता है. दूसरी ओर, फंगस और परजीवी शुगर पाकर और खुश हो जाते हैं. इससे कब्ज, डायरिया या गैस की समस्या हो जाती है.
मीठे की भी लत
वैज्ञानिकों ने पाया है कि मोटे लोगों में शुगर खाने पर मस्तिष्क में डोपामीन हार्मोन का स्राव होता है. आम तौर पर एल्कोहल या कोई नशीला पदार्थ लेने पर यह हार्मोन निकलता है. ऐसे में अगर आप शुगर लेना बिल्कुल बंद कर दें तो आपमें शुगर विड्रॉल के लक्षण दिख सकते हैं, जैसे सिरदर्द या चिढ़चिढ़ापन.
गुस्सा जगाने वाला
हद से ज्यादा मीठा खाने वाले ज्यादा गुस्सैल पाए गए हैं. एडीएचडी से प्रभावित बच्चों में भी शुगर का सीधा असर दिखता है. इससे वे कहीं भी ध्यान नहीं लगा पाते और अति सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए स्कूल के समय बच्चों को कम चीनी वाली खुराक देना एक अच्छा उपाय है.
रोगों से लड़ने में कमी
अत्यधिक चीनी बीमारियों से लड़ने की शरीर की शक्ति को भी घटाती है. प्रयोगों में पाया गया कि शुगर खाने के तुरंत बाद शरीर का इम्यून पावर 40 फीसदी तक कम हो जाता है. इसके अलावा यह शरीर में जमा विटामिन सी के भंडार को भी निचोड़ लेती हैं, जो असल में सफेद रक्त कणिकाओं के लिए बेहद जरूरी है.
कैंसर का कारण
कैंसर वाली कोशिकाएं अपनी संख्या बढ़ाने के लिए भी शुगर का इस्तेमाल करती हैं. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च टीम इस पर शोध कर रही है कि शुगर के कारण ऐसा कैसे होता है. रिसर्चरों का मानना है कि परिष्कृत चीनी कैंसर वाले ट्यूमर बनाने का बड़ा कारण है.
बुद्धू बनाने वाला
ज्यादा चीनी याददाश्त भी घटाती है. बर्लिन की चैरिटी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में किए गए एक शोध में हाई ब्लड शुगर का दिमाग के छोटे हिप्पोकैम्पस पर असर जानने की कोशिश हुई. यह वही हिस्सा है जहां स्मृतियां लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं. इसमें हाई ब्लड शुगर वाले लोगों ने मेमोरी टेस्ट में कम ब्लड शुगर वालों के मुकाबले बहुत खराब प्रदर्शन किया.