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मिल गई दूसरी धरती

१८ अप्रैल २०१४

खगोल शास्त्रियों ने घोषणा की है कि उन्हें सौर मंडल से बाहर दूसरा धरती जैसा ग्रह मिल गया है, जहां जीवन की संभावना हो सकती है. अब तक के शोधों में यह सबसे बड़ा माना जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/NASA

धरती के ही आकार वाले इस ग्रह के बारे में वैज्ञानिकों ने एक विज्ञान पत्रिका में रिपोर्ट दी है. वैसे तो केपलर नाम की दूरबीन ने हमारी आकाशगंगा में ऐसे कई ग्रह ढूंढ निकाले हैं जिन पर जीवन संभव हो सकता है. लेकिन ये दूसरी धरती ज्यादा संभावनाओं से भरी है.

नासा के केपलर टेलीस्कोप का खोजा यह नया ग्रह एक लाल रंग के केपलर 186 नाम के छोटे तारे के आस पास चक्कर लगाता है. यह धरती से 500 प्रकाश वर्ष दूर सिग्नस तारामंडल में है. इस मंडल को स्वान भी कहा जाता है. सर्च फॉर एक्सट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस (सेटी) इंस्टीट्यूट की एलिसा किंताना कहती हैं, "यह शोध इसलिए अहम है कि यह धरती के आकार का ग्रह एक तारे का चक्कर लगाने वाले पांच ग्रहों में शामिल है."

हैबिटेबल जोन में करीब 20 ऐसे ग्रह पाए गए हैं जो तारों का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन इनमें से अधिकतर बहुत बड़े हैं. इसका मतलब है कि उनका पर्यावरण हाइड्रोजन और हीलियम से भरा हुआ होगा, जैसे बृहस्पति और शनि का है.

वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि यह रहने लायक ग्रह के लिए सबसे अच्छा आकार है. यह धरती से डेढ़ गुना छोटा है. नए प्लानेट को केपलर 186एफ नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों ने जेमिनी नॉर्थ और हवाई के केक टू टेलिस्कोपों से मिली हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरों के आधार पर ग्रह के बारे में जानकारी की पुष्टि की है. केपलर 186एफ के वातावरण से जुड़ी और सटीक जानकारी लिए नासा के वेब टेलीस्कोप लॉन्च होने का इंतजार करना पड़ेगा.

अगस्त 2013 से केपलर टेलीस्कोप में लगे चार में से दो गायरोस्कोप फेल हो गए हैं. इनकी मदद से ही यह टेलीस्कोप अंतरिक्ष में अपनी जगह बनाए रख सकता है. लेकिन अभी भी इस टेलीस्कोप से कई जानकारियां भेजी जा रही हैं.

एएम/आईबी (डीपीए, एएफपी)