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समाज

माफी मांग दुनिया के रंग मंच के विदा हुए ओम पुरी

ओंकार सिंह जनौटी
६ जनवरी २०१७

जाने अंजाने हर किसी के मुंह से कभी कोई ठेस पहुंचाने वाली बात निकल ही जाती है. लेकिन ओम पुरी की तरह हाथ जोड़कर माफी मांगने की हिम्मत विरलों में होती है.

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Toronto International Film Festival 2010 Om Puri
तस्वीर: Getty Images/V. Amati

अक्टूबर 2016 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. दोनों देशों में टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर तीखी बहस हो रही थी. तमाम बड़े पत्रकार, दिग्गज हस्तियों के मुंह से कुछ ऐसा निकलवाने की फिराक में थे कि बड़ी खबर बन जाए, और फिर उसी बात के आधार पर सोशल मीडिया पर संग्राम छिड़ जाए.

तमाम मुद्दों पर अपनी खरी खरी बात रखने वाले ओम पुरी भी इसमें फंस गए. न्यूज चैनलों की दुनिया रंग मंच या सिनेमा की तरह नहीं होती, जहां कहानी होती है. न्यूज चैनलों की बहस में कहानी लाइव गढ़ी जाती है. जो जितना ज्यादा विवाद पैदा करेगी वह कहानी उतनी हिट होगी. 

ऐसे ही एक वाकये में पत्रकार की ऊंची आवाज और बहुत तीखी हो चुकी बहस में ओम पुरी के मुंह में कुछ ऐसा निकल गया कि बवाल खड़ा हो गया. ओम पुरी को भी अहसास हो गया कि वह बहुत ही ठेस पहुंचाने वाली बात कह चुके हैं. इसके बाद तो हर दिन ओम पुरी हाथ जोड़कर माफी मांगते दिखाई पड़े. उन्होंने खुद को सही साबित ठहराने की जरा भी कोशिश नहीं की. बहस के कुछ दिनों बाद वह उत्तर प्रदेश में शहीद के गांव पहुंचे. उन्होंने रोते हुए परिवारजनों से माफी मांगी.

यह सच है कि जुबान से निकले शब्द वापस नहीं लिये जा सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि विनम्रता से माफी मांगने के लिए शायद सबसे ज्यादा साहस की जरूरत पड़ती हैं. और इतना साहस बिरलों में ही दिखता है. ऐसा ही एक विरला शख्स अपने अभिनय और सार्वजनिक जीवन की कई वसीयतें छोड़कर अब विदा हो चुका है.

(विज्ञान के मुताबिक कैसे घटित होती है  मृत्यु)