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माओवादियों से निपटने के लिए पंचायत सही

२४ अप्रैल २०१०

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि माओवादी समस्या का जवाब देने के लिए पंचायत सबसे सही है. गांव में रहने वाले ग़रीबों को सशक्त बना कर माओवादियों को जवाब दिया जा सकता है.

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तस्वीर: UNI

पंचायती राज के ज़रिए ग़रीब इलाकों को सशक्त बनाना माओवादी समस्या का सही हल होगा. "हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि पंचायत राज दूरदराज़ और आदिवासी इलाकों में प्रभावशाली ढंग से काम करे. इससे हमें माओवादियों से निपटने में सहायता मिलेगी."

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर मनमोहन सिंह का कहना था कि अलग अलग विकास कार्यक्रमों में पंचायतों का हिस्सा लेना बहुत ज़रूरी है "क्योंकि उन्हें स्थानीय ज़रूरतों के बारे में पता होता है. पंचायत लोगों की सीधे भागीदारी को ही सुनिश्चित नहीं करती बल्कि सरकारी संगठनों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी सुनिश्चित करती है."

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1993 में वो ऐतिहासिक दिन था जब संविधान में 73 वां संशोधन किया गया था. जिसके बाद तीन स्तरों वाली पंचायतों को स्थानीय स्तरों पर शासन का अधिकार दिया गया. "इससे सत्ता का विकेन्द्रीकरण हुआ. 73वें संशोधन का प्रभाव अब साफ साफ दिखाई पड़ता है. इससे आम और ग़रीब आदमी ताकतवर बना और गांवों में सत्ता के समीकरण भी बदले."

नियमित पंचायत चुनावों पर प्रधानमंत्री ने ख़ुशी ज़ाहिर की और कहा कि इससे देश भर में 600 ज़िला पंचायतों, और दो लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों के ज़रिए 28 लाख लोग लोकतंत्र का हिस्सा बने हैं. पंचायतों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी के आरक्षण पर भी उन्होंने संतोष जताया. "इस कारण आज देश भर में 10 लाख महिलाएं ग्रामीण इलाकों में आरक्षित सीटों पर हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः एम गोपालकृष्णन