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महिलाओं के हाथ में भारत की तरक्की की चाबी: विश्व बैंक

२ जून २०१७

विश्व बैंक ने कहा कि अगर भारत दो अंकों वाली आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना चाहता है तो उसे नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी.

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तस्वीर: Reuters/S. Andrade

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन देश में  महिलाओं की नौकरियों में कम हिस्सेदारी चिंता का कारण है. इस सिलसिले में पिछले एक दशक के दौरान स्थिति और खराब हुई है.

विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिर्फ 27 प्रतिशत औरतें या तो काम कर रही हैं या सक्रिय रूप से नौकरी तलाश रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यह बहुत ही चिंता का विषय है और यह भारत के आर्थिक विकास के रास्ते में एक बाधा भी है. विश्व बैंक के भारत निदेशक जुनैद अहमद का कहना है, "नौकरियों में महिलाओं की ज्यादा हिस्सेदारी भारत के आर्थिक विकास को बढ़ाने में मदद कर सकती है."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत बना हुआ है और नोटबंदी का आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और पिछले साल मानसून बेहतर रहने से अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है. भारत सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2017 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही. हालांकि यह आंकड़ा विश्लेषकों की उम्मीदों से कम है. फिर भी भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से सबसे अधिक दर से आर्थिक प्रगति करने का वाला देश है.

विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि भारत में एक जुलाई से लागू होने वाला जीएसटी आर्थिक वृद्धि को मजबूत करेगा और आगे जाकर इससे सरकार के राजस्व में इजाफा होगा. पर साथ ही भारत को सचेत भी किया कि उसे महिलाओं की नौकरियों में हिस्सेदारी को हर हाल में बढ़ाना होगा.

विश्व बैंक के अर्थशास्त्री फ्रेडरिको गिल सेन्डर का कहना है कि भारत के श्रम बाजार में महिलाओं की हिस्सेदार बहुत ही कम है. उनके मुताबिक भारत में कॉलेज डिग्री हासिल करने वाली 65 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं काम नहीं कर रही हैं जबकि, बांग्लादेश में यह आंकड़ा 41 प्रतिशत और इंडोनेशिया और ब्राजील में 25 प्रतिशत है.

2007 के बाद से भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या घटी है, खास कर ग्रामीण इलाकों में. हालांकि, विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 34 प्रतिशत कॉलेज ग्रेजुएट महिलाएं ही काम कर रही हैं.

एसएस/एके (एएफपी)