हिन्दी सिनेमा में महिलाओं के लिए अच्छा समय
२७ जनवरी २०१५शबाना आजमी ने कोलकाता लिटरेरी मीट के एक विशेष सत्र में कहा, "अब फिल्मों में प्रत्येक आयु वर्ग की महिलाओं के लिए दमदार भूमिकाएं लिखी जा रही हैं. मैं बहुत आशावान हूं. मुझे लगता है कि महिला प्रधान फिल्मों में ही नहीं, बल्कि अन्य फिल्मों में भी महिलाओं की भूमिकाएं दमदार हो रही हैं." शबाना ने कहा, "आज की फिल्मों में महिला किरदारों को शामिल किया जा रहा है."
एक ओर तो उन्होंने महिलाओं के लिए दमदार भूमिकाएं लिखे जाने की सराहना की तो दूसरी ओर उन्होंने आइटम नंबर पर चेतावनी भी दी. कोलकाता साहित्योत्सव में एक विशेष सत्र में शबाना ने कहा, "अभिनेत्रियों को आइटम नंबर का चयन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इन गीतों के दृश्यों से बच्चों में यौन इच्छाएं जगती हैं. मैं कह रही हूं कि यह निर्णय सावधानी से लिया जाए."
शबाना ने कहा, "मैं यह हुक्म नहीं दे रही हूं कि यही होना चाहिए लेकिन इस बात से वाकिफ रहें कि जब आप कोई इस तरह के गीत करते हैं तो बच्चों में यौन इच्छाएं जगती हैं. चार साल की छोटी बच्चियां हैं जो शादियों में बहुत खराब-खराब गानों पर नृत्य कर रही हैं. इसलिए इस सच्चाई के प्रति सतर्क रहें कि इससे बच्चों में यौन इच्छाएं जग रही हैं और आप यदि ऐसा गाना करना चाहते हैं तो अपना फैसला स्वयं लें लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि यह फैसला सावधानीपूर्वक लिया जाए."
एमजे/आईबी (वार्ता)