महिलाओं के खिलाफ अजीबोगरीब कानून
महिलाओं के खिलाफ दुनिया भर से आने वाली शोषण और अत्याचार की खबरें आम हैं. कई देशों में महिलाओं के खिलाफ ऐसे कानून हैं जो उनके मानवाधिकारों का गला घोंटते दिखते हैं...
शादीशुदा महिला का बलात्कार
दिल्ली में 2012 के निर्भया कांड के बाद दुनिया भर में भारत की थूथू हुई. लेकिन एक साल बाद ही कानून में एक नई धारा जोड़ी गई जिसके मुताबिक अगर पत्नी 15 साल से ज्यादा उम्र की है तो महिला के साथ उसके पति द्वारा यौनकर्म को बलात्कार नहीं माना जाएगा. सिंगापुर में यदि लड़की की उम्र 13 साल से ज्यादा है तो उसके साथ शादीशुदा संबंध में हुआ यौनकर्म बलात्कार नहीं माना जाता.
अगवा कर शादी
माल्टा और लेबनान में अगर लड़की को अगवा करने वाला उससे शादी कर लेता है तो उसका अपराध खारिज हो जाता है, यानि उस पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. अगर शादी फैसला आने के बाद होती है तो तुरंत सजा माफ हो जाएगी. शर्त है कि तलाक पांच साल से पहले ना हो वरना सजा फिर से लागू हो सकती है. ऐसे कानून पहले कोस्टा रीका, इथियोपिया और पेरू जैसे देशों में भी होते थे जिन्हें पिछले दशकों में बदल दिया गया.
सुधारने के लिए पीटना सही
नाइजीरिया में अगर कोई पति अपनी पत्नी को उसकी 'गलती सुधारने' के लिए पीटता है तो इसमें कोई गैरकानूनी बात नहीं मानी जाती. पति की घरेलू हिंसा को वैसे ही माफ कर देते हैं जैसे माता पिता या स्कूल मास्टर बच्चों को सुधारने के लिए मारते पीटते हैं.
ड्राइविंग की अनुमति नहीं
सऊदी अरब में महिलाओं का गाड़ी चलाना गैरकानूनी है. महिलाओं को सऊदी में ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं दिया जाता. दिसंबर में दो महिलाओं को गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया. इस घटना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संस्थानों ने आवाज भी उठाई.
पत्नी का कत्ल भी माफ
मिस्र के कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखता है और गुस्से में उसका कत्ल कर देता है, तो इस हत्या को उतना बड़ा अपराध नहीं माना जाएगा. ऐसे पुरुष को हिरासत में लिया जा सकता है लेकिन हत्या के अपराध के लिए आमतौर पर होने वाली 20 साल तक के सश्रम कारावास की सजा नहीं दी जाती.