1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

महिलाओं की घातक बीमारी

विनोद चड्ढा३१ अक्टूबर २०१४

हमारी वेबसाइट पर आलेखों के अलावा पाठकों को फोटो गैलेरी भी अच्छी लग रही हैं. पाठकों से मिली कुछ प्रतिक्रियाएं आप भी पढ़े यहां.

https://p.dw.com/p/1DfFu
Symbolbild - Brustkrebs
तस्वीर: Fotolia/S. Bähren

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की एक घातक बीमारी है. इस विषय पर आलोकपात करते हुए डॉयचे वेले का "कसरत करें ब्रेस्ट कैंसर से बचें" और "ब्रेस्ट कैंसर पर बोला भारत" शीर्षक रिपोर्टों के साथ तस्वीरों के द्वारा "ब्रेस्ट कैंसर से बचने के 10 तरीके" की उपस्थापना बहुत मूल्यवान है. डॉयचे वेले हिन्दी वेबसाइट के नए डिजाइन एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में नवीनतम विकास, चिकित्सा विज्ञान, पर्यावरण के मुद्दों पर ताजा खबर की ऑडियो - वीडियो प्रस्तुति को लेकर साप्ताहिक टेलीविजन शो मंथन के साथ मैं हर दिन हर पल डॉयचे वेले के साथ हूं. सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

---

बेजुबान जीवों पर टेस्ट होते ब्यूटी प्रोडक्ट्स की फोटो गैलरी को वेबसाइट पर देख पढ़ कर मुस्कान झा लिखती हैं: कॉस्मेटिक्स इस्तेमाल करने वालों को क्या फर्क पढ़ता है अगर कोई बेजुबान जानवर की मौत हो जाये. किसी की जान लेकर कॉस्मेटिक्स बनाने वाली कंपनी को सजा होनी चाहिए और सच्ची बात तो यह कि भगवान के बनाये हुए रंगों को कोई नहीं बदल सकता . इंसान चेहरे से नहीं, अपने अंदर की अच्छाई और सच्चाई से सुन्दर होता है.

---

कैसे रहें महिलाएं सुरक्षित? इस विषय पर मनाली वर्मा कहती हैं कि यदि लड़कियों के कपड़े रेप का कारण होते हैं तो फिर जब किसी 3 या 4 साल की बच्ची का रेप होता है तो वो कौन सा शार्ट ड्रेस पहनती है. समाज अपनी कमियों और पुरुष अपनी गंदी सोच को बदलने के बजाय लड़कियों के कपड़ों को ही जिम्मेदार बना देता है. सच तो यह है कि अगर माता पिता घर से अपने लड़कों को बचपन से ही बताये कि कपड़े किसी भी लड़की का करैक्टर सर्टिफिकेट नहीं होते, तो शायद रेप के मामले न हों और वे अपनी गलतियों को माने की कमी कपड़ों में नहीं, हमारी सोच में है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी महिलाओं और पुरूषों के अलग अलग बैठने से यह समस्या हल नहीं होगी. पुरूषों को अपनी सोच बदलनी होगी. इसके बावजूद भी महिलाओं को यौन शोषण का सामना करना पड़ता है.

आकृति अनिल त्रिवेदी लिखती है: भारत में बढ़ते रेप के मामलों को देखते हुए मेरा ख्याल है कि सरकार को हर शहर में कम से कम 2-3 ऐसे ट्रांसपोर्ट चलाने चाहिए जो केवल महिलाओं के लिए हों, जिसमें चालक और कंडक्टर भी महिला हो. इससे समस्या खत्म तो नहीं होगी, कम से कम 1% महिलांए तो बिना डर के सफर कर सकेंगी.

---

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि भारत की जनता न सिर्फ केंद्र में बल्कि राज्यों में भी मजबूत सरकार चाहती है. इतना ही नहीं, इन परिणामों से यह भी सिद्ध हो गया है कि भारत की जनता का विश्वास अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में बना हुआ है. इन चुनाव परिणामों से दो अन्य राज्यों में भी भाजपा की सरकार बन जाएगी. इसके साथ ही राज्यसभा में भी भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़ेगी जिससे मोदी सरकार के कदम और भी मजबूत होंगे. चुनाव-परिणामों से यह भी स्पष्ट हो गया है देश की जनता का बहुमत राष्ट्रवादी है और उसके लिए राष्ट्र ही सर्वोपरि है. यह जीत न तो भाजपा की जीत है और न ही नरेंद्र मोदी की, बल्कि जातिवाद, संप्रदायवाद और परिवारवाद पर राष्ट्रवाद की जीत है. परिणामों को देखकर ऐसा लगता है कि जनता नरेंद्र मोदी सरकार के प्रदर्शन से फिलहाल खुश है, लेकिन इसका यह मतलब हरगिज नहीं लगाया जाना चाहिए कि सब कुछ सही हो गया है. अभी तो भारत के असली निर्माण का सफर शुरु ही हुआ है. डा. हेमंत कुमार, भागलपुर, बिहार

---