महज शोपीस नहीं हैं काजोल
५ अगस्त २०१४पांच अगस्त 1974 को मुंबई में जन्मी काजोल को अभिनय की कला विरासत में मिली. उनके पिता सोमु मुखर्जी निर्माता और मां तनुजा जानी मानी फिल्म अभिनेत्री थीं. घर में फिल्मी माहौल रहने के कारण काजोल अक्सर अपनी मां के साथ शूटिंग देखने जाया करती थीं. इस वजह से उनका भी रूझान फिल्मों की ओर हो गया और वह भी अभिनेत्री बनने के ख्वाब देखने लगी.
बाजीगर नहीं थी पहली फिल्म
काजोल ने प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट पंचगनी से की. इसके बाद उन्होंने बतौर अभिनेत्री अपने सिने करियर की शुरूआत 1992 में फिल्म 'बेखुदी' से की. युवा प्रेम कथा पर बनी इस फिल्म में उनके नायक की भूमिका कमल सदाना ने निभाई. लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई.
1993 में काजोल को अब्बास मस्तान की फिल्म 'बाजीगर' में काम करने का अवसर मिला. यूं तो पूरी फिल्म शाहरुख खान पर केंद्रित थी लेकिन काजोल ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया.
1994 काजोल के सिने करियर में अहम वर्ष साबित हुआ. इस साल उनकी 'उधार की जिंदगी', 'ये दिल्लगी' और 'करण अर्जुन' जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई. यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म 'ये दिल्लगी' में अपने दमदार अभिनय के लिए काजोल पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित की गयीं.
इंडस्ट्री की पहली खलनायिका
1995 में काजोल को यश चोपड़ा की ही फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में काम करने का मौका मिला जो उनके सिने करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई. इसके बाद 1997 में काजोल ने निर्माता निर्देशक राजीव राय की फिल्म 'गुप्त' में काम किया. फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास का पहला मौका था जब किसी अभिनेत्री को यह पुरस्कार दिया गया.
1998 में काजोल के सिने करियर की एक और अहम फिल्म 'दुश्मन' रिलीज हुई. इस फिल्म में काजोल ने पहली बार दोहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया. इसी साल उनकी 'प्यार तो होना ही था' और 'कुछ कुछ होता है' जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई. इन तीनों फिल्मों के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.
काजोल का कम बैक
फिर 1999 में काजोल ने अभिनेता अजय देवगन के साथ शादी कर ली. इसके बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया. साल 2001 में फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' के बाद काजोल ने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया. पांच साल तक इंडस्ट्री से दूर रहने के बाद 2006 में उन्होंने यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म 'फना' के जरिए धमाकेदार वापसी की. इसके बाद एक बार फिर वह सिल्वर स्क्रीन से गायब हो गयीं. पर जल्द ही वह कम बैक करने जा रही हैं.
काजोल अपने सिने करियर में चार बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी हैं. 2011 में उन्हें पदमश्री से भी सम्मानित किया गया.
आईबी/एमजे (वार्ता)