मलेशिया में भारतीय मूल के कार्यकर्ता गिरफ्तार
२० जनवरी २०११सारे कार्यकर्ता ह्यूमन राइट्स पार्टी के सदस्य हैं और उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह मैले भाषा में लिखे गए पाठ्य पुस्तक 'इंटरलोक' को बाजारों से वापस ले लें क्योंकि इसमें भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था के बारे में लिखा गया है, जो मलेशिया में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए आपत्तिजनक है.
विरोधी प्रदर्शन के आयोजक एस जयतास ने पुलिस हिरासत से एक समाचार एजेंसी को बताया, "हम चाहते हैं कि किताब को वापस लिया जाए क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता को कोई फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि काफी नफरत पैदा हो रही है." जयतास ने कहा कि जब वे अपना बयान लोगों के बीच बांट रहे थे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने से भी मना कर दिया गया.
स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है. जिला पुलिस प्रमुख अब्दुल रहीम अब्दुल्लाह ने कहा कि इन नौ कार्यकर्ताओं को 'पुलिस के काम में अडंगा डालने की वजह से' गिरफ्तार किया गया.
इंटरलोक नाम के विवादित किताब में मलेशिया के तीन प्रमुख समुदायों, यानी चीनी, मलेशियाई और भारतीयों के इतिहास के बारे में बताया गया है. सरकार ने किताब की जांच के लिए एक खास पैनल बिठाई है लेकिन इसे वापस लेने के सिलसिले में कोई फैसला नहीं लिया गया है.
क्वालालंपुर के पास बाटू गुफाओं में हर साल लाखों हिंदू श्रद्धालू थाइपुसाम त्योहार के लिए जमा होते हैं. इस साल लगभग दस लाख लोग जमा हुए हैं. श्रद्धालू भारी भरकम कांवड़ियों को लेकर बाटू गुफाओं के मंदिरों तक 200 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर जाते हैं. थाइपुसम त्योहार को मलेशिया के कई मुसलिम प्रधान जगहों में भी मनाया जाता है. मलेशिया की जनसंख्या के 10 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं. इनमें ज्यादातर हिंदू हैं.
रिपोर्टः एएफपी/एमजी
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य