सांस के जरिये मलेरिया की जांच
१३ मई २०१६वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर डॉ. ऑड्रे ओडम बताती हैं, ''ये डिवाइस ठीक उसी तरह काम करेगी जैसे शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों का ब्रीथेलाइजर टेस्ट किया जाता है.'' ओडम कहती हैं कि इस डिवाइस पर अभी काम जारी है. इसमें मौजूदा जांच के तरीकों की अपेक्षा बहुत कम खर्च आएगा. ना खून के नमूने लेने की जरूरत पड़ेगी और ना ही किसी प्रशिक्षित स्वास्थर्मी की.
एक लैब में काम कर रहे ओडम और उनके सहयोगी टेरेपेनेस नाम के ऐसे खुशबूदार कार्बनिक यौगिकों का उत्पादन करने वाले परजीवी की पहचान करने में कामयाब हुए जिनकी महक मच्छरों को आकर्षित करती है. वह बताती हैं ''इस तरह के कंपाउंड जब खून में मौजूद होते हैं तो दरअसल वे फेफड़ों में आ जाते हैं और फिर मरीज की सांसों में भी.''
इसके बाद यह शोध मालावी में एक गंभीर शोध में बदल गया और यहां वैज्ञानिक बच्चों की सांस की जांच के जरिए 100 प्रतिशत तक मलेरिया का पता लगाने में कामयाब हुए. अब इस पर आगे का शोध का जारी है.
विश्व स्वास्थ संगठन के एक अनुमान के मुताबिक हर साल 5 लाख लोग मलेरिया के चलते मारे जाते हैं. इनमें से अधिकतर मौंते समय से जांच ना हो पाने के चलते होती हैं. लेकिन सांस की जांच की आसान और सस्ती तरकीब इस समस्या से निजात दिला सकती है. इसके साथ ही इसी तरह से सांस के जरिए टीबी और कैंसर की जांच के शोध भी जारी हैं.
आरजे/ओएसजे (रॉयटर्स)