मरने वाले अज्ञात लोगों की शिनाख्त के तरीके
ट्रेन, हवाई जहाज, बस के एक्सीडेंट या अन्य हादसों में अक्सर हादसे का शिकार हुए व्यक्ति की शिनाख्त मुश्किल होती है. ऐसे में कुछ खास तरीकों को पहचान के लिए अपनाया जाता है.
फिंगरप्रिंट
बड़े हादसों में मरने वालों की संख्या भी आमतौर पर बड़ी होती है. ऐसे में पीड़ितों के फिंगरप्रिंट की मदद से उनकी पहचान होती है.
शरीर पर निशान
अगर शरीर को ज्यादा क्षति नहीं हुई है तो शरीर पर मौजूद निशान से भी पहचान में मदद मिल सकती है. शरीर पर मौजूद कोई तिल, टैटू, किसी तरह की विक्लांगता या फिर जन्म से मौजूद निशान.
दांतों की फोरेंसिक जांच
दांतों की बनावट और उनकी जबड़े में व्यवस्था भी लोगों में एक दूसरे से अलग होती है. विकसित देशों में डेंटिस्ट के पास नियमित रूप से जाना सामान्य बात है. दांतों के डॉक्टरों के पास मरीजों के दांतों के रिकॉर्ड होते हैं. इनसे व्यक्ति की पहचान में मदद मिल सकती है.
एक्स-रे
मृत्यु से पहले और बाद की एक्स-रे रिपोर्ट की तुलना करके भी मरने वाले की शिनाख्त की जा सकती है. उदाहरण के लिए, अगर मरने वाले का पहले कोई एक्सिडेंट हुआ हो या कभी पहले कोई हड्डी टूटी हो, तो नए एक्सरे में उसकी पहचान की जा सकती है.
डीएनए जांच
सबसे नया तरीका है डीएनए ट्रैकिंग, इस तरह की फिंगरप्रिंटिंग में धोखा नहीं हो सकता है. मरने वाले के डीएनए सैंपल को परिवार के किसी सदस्य के डीएनए सैंपल से मिलाया जाता है. ये माता, पिता, भाई या बहन हो सकते हैं. तरीका बहुत सटीक है लेकिन इसमें तकनीकी योग्यता की बेहद जरूरत है.
फोरेंसिक जांच
पुलिस फोरेंसिक जांच की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई जिसमें दुर्घटनास्थल पर मिली सामग्री की जांच से पीड़ित के साथ हमलावर की भी पहचान में मदद ली जाती है. अब इस विधि का इस्तेमाल दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की पहचान के लिए भी किया जाने लगा है.