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मम्मी पापा को बहुत याद करता है मोशे

२५ नवम्बर २०१०

मोशे अब चार साल का हो गया है. मौत का अर्थ अब भी उसकी समझ से बाहर है. तब भी अपनी मां की फोटो देखकर वह अटक जाता है. पापा की फोटो पर बंधी उसकी टकटकी हैरान करती है.

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चाबाड हाउस, मुंबईतस्वीर: AP

2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में मारे गए यहूदी जोड़े का बेटा मोशे अब इस्राएल के अफूला में अपने नाना नानी के साथ रहता है. उसकी देखभाल उसकी आया सैंड्रा सैम्युअल करती हैं जिन्होंने उस बेरहम आतंकी कार्रवाई में मोशे को बचा लिया था.

मोशे के दादा रब्बी नाखमान आजकल मुंबई में हैं. वह चाबाड हाउस मुकदमे की सुनवाई में हिस्सा लेने आए हैं जहां उनके बेटे और बहू को आतंकवादियों ने कत्ल कर दिया था. वह कहते हैं कि मोशे ठीकठाक है लेकिन अपने मम्मी पापा को अक्सर याद करता है. नाखमान कहते हैं, “जब भी वह घर में लगी उन दोनों की फोटो देखता है तो मुस्कुराता है और कहता है: गुड मॉर्निंग ईमा (मां) अब्बा (पापा). वह उनके घर के पास लगे बड़े से पोस्टर को देखकर हमेशा हाथ हिलाता है.”

अपनी आया सैंड्रा सैम्युअल की गोद से चिपका मोशे 45 घंटे तक मुंबई के उस चाबाड हाउस में छिपा रहा था जिस पर दो आतंकवादियों बाबर इमरान और नासिर ने कब्जा कर लिया था. आतंकवादियों ने मोशे के माता पिता समेत घर में रहने वाले छह लोगों को मार डाला था. उस घर के एक कमरे में अब भी मोशे की यादें जिंदा हैं. दरवाजे पर एक ट्वीटी पोस्टर लगा है जिस पर हिब्रू में मोशे का नाम लिखा है. दीवारों पर अलग अलग रंगों में ए बी सी लिखी है. मछलियां और पंछी बने हैं. मोशे के परिवार के प्रतिनिधि के तौर पर मुंबई में रह रहीं एलिरान रूसो बताती हैं कि घर दोबारा बनाया जा रहा है लेकिन मोशे के कमरे को ज्यों का त्यों रखा जाएगा. हां उसकी दीवारों पर गोली से बने छेदों को भर दिया जाएगा. ऐसा इसलिए कि जब भी मोशे मुंबई आए तो उसे सब कुछ वैसा ही मिले.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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