मत बनो स्मार्टफोन के कीड़े
स्मार्टफोन, जीवन को आसान बनाते हैं, लेकिन इनकी लत कई बीमारियां और मुश्किलें सामने ला रही है.
हमेशा थकी थकी आंखें
स्मार्टफोन की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी में नीली लाइट सबसे ज्यादा होती है. काफी देर तक स्क्रीन को करीब से देखने पर आंखों पर बहुत दबाव पड़ता है. अगले दिन भी आंखों में असहजता सी महसूस होती है. लंबे समय तक ऐसा करने से आँखों की पुतली प्रभावित हो सकती है.
नींद में खलल
रात में सोने की तैयारी की लेकिन तभी व्हट्सऐप पर एक मैसेज आ गया. मैसेज को पढ़ने वाला सोच में डूब गया. ऐसा होने पर नींद आना बहुत आसान नहीं होता. स्मार्टफोन की रोशनी नींद के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन मेलाटोनिन को भी प्रभावित करती है.
गर्दन की तकलीफ
यूरोप और अमेरिका में हुए कई शोधों के बाद यह साफ हो गया है कि टेबलेट और मोबाइल फोन के अति इस्तेमाल से गर्दन, बांह और रीढ़ की हड्डी पर जरूरत से ज्यादा जोर पड़ता है. इसका नतीजा टीस देने वाले दर्द के रूप में सामने आता है.
कमर में दर्द
ब्रिटेन की चीरोप्रैक्टिस एसोसिएशन के मुताबिक बीते सालों में युवाओं में कमर दर्द के बढ़ते मामले हैरान करने वाले हैं. 2015 में ब्रिटेन में 45 फीसदी युवाओं को कमर में दर्द की शिकायत हुई. 16 से 24 साल के इन युवाओं को ऐसा दर्द होने लगा जैसा रीढ़ की हड्डी में दबाव पढ़ने से महसूस होता है.
अवसाद
स्मार्टफोन और उसमें बसी सोशल मीडिया की दुनिया अवसाद का कारण भी बन रही है. नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने वालों पर मानसिक अवसाद का खतरा बहुत ज्यादा रहता है.
सामाजिक रिश्तों में अंतर
लोगों से मिलना, खाना पकाना, कसरत करना या फिर घूमना फिरना, ये आदतें इंसान को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती हैं. लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाए तो इंसान ये सब करने के बजाए कीड़े की तरह फोन में ही घुसा रहता है.
टाइम की बर्बादी
एक चीज देखने के लिए स्मार्टफोन उठाया. फिर कुछ और देखा, फिर कुछ और...अंत में बैटरी खत्म होने तक यह अंतहीन सिलसिला चलता रहा. सेहत तो गई ही साथ में टाइम भी बर्बाद हुआ. स्मार्टफोन लाइफस्टाइल में यह बड़ी आम समस्या है.
सेल्फी, सेल्फी
भारत में 2015 और 2016 में कई लोगों की सेल्फी के चक्कर में जान गई. दुनिया भर में आए दिन सेल्फी डेथ के मामले सामने आ रहे हैं.
इंटरनेट के लिए जीना
क्या जिंदगी सिर्फ इंटरनेट पर जी जाती है. सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का कॉकटेल जीवन के आयाम को कैद भी कर रहा है.
ऐन टाइम पर फुस्स
स्मार्टफोन का खूब इस्तेमाल किया लेकिन जब कॉल करने जैसे असली काम की जरूरत महसूस हुई तो बैटरी खत्म, ये भी स्मार्टफोन लाइफस्टाइल की आम समस्या है.