मंथन में मकड़ी के जाल से दवाएं
२१ जून २०१३आप अपने मोबाइल फोन पर गेम्स खेलते होंगे. इनमें से कुछ ऑनलाइन भी खेले जाते हैं. अधिकतर गेम्स मुफ्त होते हैं, इसलिए इन्हें खेलते समय खर्चे की कोई फिक्र, कोई चिंता नहीं होती. क्या आपने कभी सोचा है कि ये गेम कंपनियां अपना मुनाफा कैसे बनाती हैं? इसका जवाब देगी मंथन की खास रिपोर्ट. ले चलेंगे आपको जर्मनी की एक गेम बनाने वाली कंपनी में.
इसके अलावा ब्रूअरी का भी सफर होगा. जर्मनी में हर व्यक्ति साल में करीब 100 लीटर बीयर पी जाता है. महिलाएं केवल बीयर पीती ही नहीं नहीं, बल्कि बनाती भी हैं. जर्मनी में पारंपरिक रूप से किस तरह बीयर बनाई जाती है, इस पर देखें मंथन की दिलचस्प रिपोर्ट.
सिलिकॉन का इस्तेमाल
सिलिसियम या फिर सिलिकॉन का इस्तेमाल कंप्यूटर के पुर्जे और कई तरह के इलेकट्रॉनिक सामान में किया जाता है. लेकिन ब्लैक सिलिकॉन अब तक बाजार में अपनी जगह नहीं बना पाया है. यह एक ऐसी धातु है जो रोशनी और गर्मी सोख लेती है. इसी कारण चौकसी करने वाले थर्मल कैमरों में इसका इस्तेमाल फायदेमंद है और साथ ही सोलर पैनलों में भी. अब भी सौर ऊर्जा का एक चौथाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है. इसकी वजह यह है कि सोलर सेल अब भी इन्फ्रारेड किरणों को सोख नहीं सकते. फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट इसे बदलना चाहता है. नए सोलर सेल की मदद से ऊर्जा पाना और प्रभावशाली हो सकेगा. मंथन में जानिए क्या है ब्लैक सिलिकॉन और कैसे किया जा रहा है इसका इस्तेमाल. साथ ही जानिए कि वह कौन सी जगह है जहां बिजली सिर्फ सौर ऊर्जा से बन रही है.
कुदरत से सीख
कुदरत से सीखना इंसान की फितरत में है. कई बार कुदरत के चमत्कार इंसान को इस कदर हैरान कर देते हैं कि उनकी नकल करने की जिज्ञासा पैदा हो जाती है. इंसानों को जानवरों और परिंदों से जोड़ कर ही बैटमैन, कैटवुमन और स्पाइडर मैन जैसे किरदार बने. फिल्मों में तो स्पाइडर मैन हाथ आगे फैला कर मकड़ी का जाल बुन लेता है, पर क्या इंसान वाकई मकड़ी जैसे धागे बना सकता है? जर्मनी में वैज्ञानिकों ने ऐसा कर दिखाया है.
वैज्ञानिक केवल जालों पर काम नहीं कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कॉस्मेटिक प्रोडक्ट भी बनाए हैं. जाले में शामिल प्रोटीन क्रीम को हल्का और कम चिकना बनाते हैं. मकड़ी के जाले का प्रोटीन बालों को चमकीला बनाने में मदद करता है. जाले से बनी दवाइयां भी जल्द बाजार में आ रही हैं.
सिर्फ मकड़ी से ही नहीं, बल्कि मकड़ी को खाने वाली सैंड स्किंक छिपकली से भी वैज्ञानिक सीख ले रहे हैं. सैंड स्किंक एक विशेष तरह की छिपकली है, जो अधिकतर फ्लोरिडा में ही पाई जाती है. यह रेत में कुछ इस तरह से चलती है कि लगता है तैर रही हो. इसकी नकल कर के हवाई जहाजों को और बेहतर बनाया जा सकता है. बर्लिन के बायोनिक और इवोल्यूशन इंस्टीट्यूट में सैंड स्किंक की चिकनी चमड़ी का राज जानने की कोशिश हो रही है. किस तरह से किया जा रहा है ये सब, जानिए मंथन में शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे