1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

"मंथन तो चार चांद लगा जाता है"

२१ नवम्बर २०१२

आइए देखें कि इस हफ्ते हमारे पाठकों ने हमें क्या कुछ लिख भेजा है.

https://p.dw.com/p/16nMC
Fanclub, Indien, New Horizon Radio Listeners' Club +++++NUR FÜR MY DW ZU VERWENDEN++++++ Mit dem Einsenden ihrer Daten erklären sich die Clubmitglieder und der Club mit der Veröffentlichung Ihrer Daten und Fotos einverstanden siehe auch: http://asp2.inquery.net/s.app?A=jClUV9RT
तस्वीर: privat

हमें 14.11.2012 के निशान खोजिए प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया है आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आपके इस प्रतियोगिता का हमें यह पहला तथा इससे पहले लंदन ओलंपिक के दौरान हुई प्रतियोगिता का भी विजेता चुना गया था. हमें किसी भी प्रकार का अंदाजा ही नही था कि हम जिसे बचपन से रेडियो पर सुनते आ रहे थे उससे आगे चल कर किसी भी प्रकार का सीधा सम्बन्ध भी स्थापित हो पाएगा. लंदन ओलंपिक के दौरान का इनाम पाकर हमें इतनी प्रसन्नता हुई जैसे जीवन की सारी खुशियां एक साथ आ गयी हो.निश्चित तौर पर आप सब लोग की कड़ी मेहनत और लगन से हम सब तक जो समाचार (देखने, सुनने) को मिलता है वह आप सब का हिंदी के प्रति लगाव और अपनापन है.वाकई में आप सब की प्रस्तुति बहुत ही शानदार होती है, आपका कार्यक्रम मंथन तो चार चांद लगा जाता है दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर. यू ट्यूब पर आपका कार्यक्रम "बात बेबाक " तो हमें बहुत ही अच्छा और ज्ञान वर्धक लगता है, बात बेबाक के हर एक एपिसोड का बड़ा बेसब्री से इंतजार रहता है .उसे सुनते देखते और डाउनलोड भी कर लेते है अंत में डॉयचे वेले हिंदी परिवार बहुत बहुत धन्यवाद.
कुलदीप कुमार मिश्र , चौफटका , इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश

---

भारतीय समाचार माध्यमों में जर्मनी के विषय में बहुत कम ही जानने को मिलता है. भारतीय समाचार विदेशी समाचारों के लिए अंतरराष्ट्रीय समाचार माध्यमों पर निर्भर हैं. अंतरराष्ट्रीय समाचार माध्यमों की नियंत्रक शक्तियां जानबूझ कर हमको वही सामग्री परोसती हैं, जिनसे उनके हित सधते हों. ऐसे में डॉयचे वेले हमारे लिए जर्मनी के विषय में कुछ जान पाने के लिए एकमात्र खिड़की का काम कर रहा है. मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें.
सुभाष शर्मा, गाजियाबाद

---

मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों ने भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट सम्बन्ध को ख़त्म कर दिया था, अब गृहमंत्री एस. के. शिंदे ने इसे फिर से बहाल करने की इजाजत दे दी है. यह क्रिकेट के लिए शुभ संकेत है. करीब 5 साल बाद पाकिस्तानी टीम दिसम्बर में भारत आने वाली है.एक बार फिर चिर प्रतिद्वंदी टीम के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या आतंकी हमलों के कारण क्रिकेट मैच को रोका जाना जायज था? क्या अब हम वे हमले भूल गए जो दहशतगर्दो ने मुंबई पर किये थे? इनका ठोस जवाब दोनों मुल्कों के राजनितिक नेतृत्व को देना चाहिए. यह हिन्दुस्तानी खेल प्रेमियों की घायल भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए जरुरी है.

epa02661005 Pakistani bowler Wahab Riaz (R) reacts after missing out on his hattrick during the ICC Cricket World Cup 2011 semi final between India and Pakistan at the Punjab Cricket Association (PCA) Stadium in Mohali, India, 30 March 2011. EPA/HARISH TYAGI +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: AP

डॉ हेमंत कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, जिला भागलपुर, बिहार

---

Indian Policemen parade through Mumbai, India, 26 November 2010 on the second anniversary of Islamist militant attacks on the city. A total of 166 people were killed and more than 300 others were injured when 10 heavily-armed Islamist militants stormed the city on 26 November 2008, attacking a number of sites, including the Chhatrapati Shivaji railway station, two luxury hotels, Taj Mahal Palace and Oberoi, a popular tourist restaurant Leopold cafe and a Jewish centre Chabad House. EPA/DIVYAKANT SOLANKI
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa

एक महिला पर मुंबई पुलिस की धौंस की खबर पढ़कर मैं सकते में आ गया. पुलिस आखिर बन क्या गई है. बड़े-बड़े मसले तो ये पुलिस सुलझा नही पा रही है तो इस तरह के कार्यों को कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करना बेहद शर्मनाक है और राजनीतिक तथा प्रशासनिक नपुंसकता का परिचायक भी है. शायद पुलिस अब अदालत की नुमांइदगी न कर राजनीतिज्ञों की सरपरस्ती कर रही है. कुछ समय पहले जर्मनी और बंग्लादेश के पुलिसिया चेहरे को दिखाने वाली खबरें भी डॉयचे वेले की साइट पर पढ़ने को मिली, ऐसा लग रहा है कि देशीय सीमाओं को मिटाकर कमोबेश पुलिस का रूप और स्वरूप एक सा होता जा रहा है यानी एक खौफनाक रूप लेता जा रहा है. संवैधानिक रूप से हर किसी को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है, अखबारों में आए दिन पक्ष और विपक्ष की खबरें छपती रहती हैं इसका मतलब यह हुआ कि आशंका के चलते पुलिस रेडियो, टीवी, सोशल साइट को भी अपने आकाओं को खुश करने के लिए सेंसर कर सकती है.शायद अब जरूरत है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं को ऐसे मसलों पर सिर्फ विरोध करने तक नहीं बल्कि सीधी कार्यवाही करने की ताकत के साथ सामने आना होगा.मुंबई पुलिस के मामले में कोर्ट को भी सख्ती दिखाते हुए पुलिस को लताड़ लगानी चाहिए. दिन पर दिन कुरूप होते पुलिस को कर्तव्य के नैतिक ज्ञान की आवश्यकता है.
रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद

---

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे