"मंथन कामयाबी के शिखर पर"
९ सितम्बर २०१४मॉरीशस के जाने-माने हिन्दी लेखक अभिमन्यु अनत से बातचीत सार्थक और शिक्षाप्रद लगी. अभिमन्यु अनत जैसे हिन्दी के मूर्धन्य लेखकों ने मॉरीशस में हिन्दी का जो विकास किया है, वह मील का पत्थर है. उनको साहित्य अकादमी का महत्तर सदस्य बनाया जाना उचित कदम है. निश्चित रूप से भारत भी मॉरीशस से बहुत कुछ सीख सकता है. उदाहरण के लिए मॉरीशस में भाषा के नाम पर कोई विवाद नहीं होता और वहां सभी भाषाओं का सम्मान किया जाता है. यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि हजारों मील दूर मॉरीशस में आज भी भारतीयता रची-बसी है. हिन्दी के प्रबुद्ध एवं विद्वान लेखक अभिमन्यु अनत से बातचीत प्रकाशित करने के लिए डॉयचे वेले को बहुत बहुत धन्यवाद. चुन्नीलाल कैवर्त, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मै आपकी सारी रिपोर्टें पढ़ता हूं. 1994 से रेडियो प्रोग्राम सुनता था और पहले लेटर भी भेजा करता था बीच में कुछ परेशानी आयी तो छोड दिया और नेट पर देखा तो दिल खुशी से झुम उठा. कई बार आपसे वॉयस मेसेज भी किया था. इस बार बडी उम्मीद के साथ मंथन प्रश्नोलॉजी का उत्तर भेजा है मुझे पूरी उम्मीद है आप लोग मायूस नही करेंगे. बेलाल खान
आपको मैं कितने धन्यवाद दूं? आपने तो मेरे दिल की आवाज सुनी है. आज मैं बहुत ही खुश हूं. आपकी यह रिपोर्ट पोस्टकार्ड बनाम सोशल नेटवर्क मैं अपने सभी पोस्टक्रोसर दोस्तों में साझा करते जा रहा हूं. भारत में मौजूद ऐसे ज्यादातर पोस्टक्रोसर हैं जिन्हें मैं व्यक्तिगतरूप से जानता हूं. उनका कार्ड का संग्रह देखकर आप सचमुच अचंभित रह जायेंगे. मैं खुद इस साईट का 2005 से सदस्य हूं. तब से लेकर आज तक बहुत सारी चीजें बदल गयी किन्तु एक समस्या अभी भी बरकरार हैं; तब भी कार्ड्स को खोज खोज कर खरीदना पड़ता था और आज भी. हमने इसका एक हल निकाला हैं. हम फेसबुक से जुड़कर पोस्टकार्ड की इमेजेस संकलित करते हैं और उन्हें प्रिंट करते हैं. बीते दो सालों से पोस्ट मास्टर जनरल उत्तर कर्नाटक पोस्टल विभाग खुद पोस्ट कार्ड प्रिंट कर उन्हें वितरित कर रहे हैं और उनकी इस पहल से भारतीय पोस्टक्रोसर की संख्या में काफी वृद्धि हुई. मनोज कामत, पुणे
मोदी सरकार के सौ दिनों का लेखाजोखा लेकर डॉयचे वेले दक्षिण एशिया प्रमुख ग्राहम लुकस की टिप्पणियों से मैं पूरी तरह से सहमत नहीं हूं. मोदी के कार्यों के आकलन और परिणामों को आंकने के लिए सौ दिनों का समय अपर्याप्त है. देश की दशा सुधारने की ये एक मुहिम है. पिछले दस साल के दौरान तो लोग प्रधानमंत्री भी कोई हस्ती है, यही भूल चुके थे. सारी व्यवस्थाओं को सही करने में वक्त तो लगेगा. सौ दिनों की संतुष्टि फिलहाल इतनी है कि हम एक सही दिशा और नीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं. बहुत सारी चीजों को बदलने के लिए व्यावहारिक उपाय तलाशे गए हैं. समय के साथ बेकार हो गए कानूनों को खत्म किया जा रहा है. जन साधारण से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रक्रियाएं सरल और सहज की जा रही हैं. आज पीएमओ सीधे जनता से जुड़ा है. जनहित के मुद्दे पर बात कर रहा है. हमें धीरज धर इंतजार करना होगा कम से कम एक वर्ष तक, तभी कुछ ठोस निष्कर्ष निकाल पाने की स्थिति बन पाएगी. रवि श्रीवास्तव, निदेशक, जन भाषा प्रकाशन प्रा. लिमिटेड, इलाहाबाद
मंथन का 100वां एपिसोड यानी कामयाबी और लोकप्रियता के 100 सप्ताह और सौंवे अंक में हर्षोउल्हास का सतरंगी रूप जर्मनी में होली के रूप में मनाया जाने वाला अगस्त महीने का यह उत्सव रोचकता से परिपूर्ण था और जानकर अच्छा लगा कि भारतीय परंपरा को उजागर करता यह उत्सव पर्व का रूप लेता जा रहा है. डार्क मैटर पर ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझाती रिपोर्ट ने मन मोह लिया. दिलों में दहशत पैदा करने वाले ड्रोन को फोटोग्राफी के क्षेत्र में कैसे उपयोग में लाया जा रहा है देखकर सुखद अनुभव हुआ और आधुनिक युग में इसकी बढ़ती आवश्यकताओं और भूमिका का अंदाजा लगा. हर सप्ताह कुछ नये विषय पर जानकारी मिलना मंथन की विशेषता को दर्शाता है. रोचक जानकारी प्रदान करने हेतु एक बार फिर मंथन टीम का धन्यवाद. मुहम्मद सादिक आजमी, सऊदी अरब
डीडब्ल्यू हिन्दी से मुझे बहुत लाभ हो रहा है. अच्छी अच्छी जानकारियां मिल रही हैं. मुझे सब से ज्यादा “इतिहास में आज” बहुत पसंद है. आज के दिन क्या हुआ यह जानकारी अच्छी तरह से मिल जाती है. उद्धव बिराजदार, जालना, महाराष्ट्र
संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे