मंगल पर मीथेन - जिंदगी की निशानी?
१७ दिसम्बर २०१४अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का क्यूरियोसिटी रोवर अंतरिक्ष यान 2012 से लाल ग्रह पर खोज कर रहा है. उसकी ताजा खोजों को अमेरिकी पत्रिका साइंस में प्रकाशित किया गया है जिनसे यह सवाल उठता है कि क्या सूक्ष्म जीवाणु मीथेन का स्रोत हो सकते हैं. और कुछ हफ्तों के अंदर इसके अचानक बढ़ने और फिर खत्म हो जाने की वजह क्या है? हालांकि मंगल ग्रह पर जीव की खोज बहुत बड़ी खोज होगी लेकिन नासा के जॉन ग्रोत्सिंगर ने चेतावनी दी है कि इन खोजों का मतलब यह नहीं है कि वैज्ञानिकों ने मंगल पर जीवन का पता कर लिया है. उन्होंने कहा कि इस पर और जानकारी जुटाने की जरूरत है.
सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकी जियोफीजिकल यूनियन के सम्मेलन में ग्रोत्सिंगर ने नई खोज रोमांचक खबर बताते हुए कहा, "यह उस तरह की खबर है जिसे आप मंगल पर जीवन के बारे में जानने के लिए खोजेंगे." उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि मंगल के वातावरण में मीथेन समय समय पर मौजूद होता है, "और कुछ जगहों पर मंगल के पुराने पत्थरों में जीव सुरक्षित हैं." गोत्सिंगर ने कहा कि रोवर द्वारा इकट्ठा किए रॉक पावडर के नमूने में मीथेन और ऑर्गेनिक मॉलेक्यूल का होना मंगल पर जीवन की अतीत में या वर्तमान में उपस्थिति की वजह से हो सकता है.
चकित होने का क्षण
ऐसा माना जाता है कि मंगल कभी गर्म और नम होता था और अतीत में किसी न किसी प्रकार के जीवन के लिए अनुकूल रहा है. क्यूरियोसिटी इस बात का पता करने में सक्षम नहीं है कि इस समय मंगल पर जीवन है या नहीं, लेकिन इस मिशन का मकसद यह पता करना है कि क्या वहां कभी जीवन रहा है. इसके लिए कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉसफोरस या सल्फर जैसे जीवन के लिए जरूरी रसायनों की खोज की जा रही है.
रोबोट द्वारा मंगल ग्रह पर बीस महीनों के दौरान इकट्ठा डाटा के अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि वहां मीथेन की मात्रा उम्मीद से कम है. हालांकि उन्होंने लेजर स्पोक्ट्रोमीटर की मदद से यह भी पाया कि नवंबर में उसकी मात्रा में 10 गुना उतार चढ़ाव दिखा. नासा के क्रिस वेबस्टर ने इस पर टिप्पणी की, "हम पूरी तरह चकित हैं. यह ओ माई गॉश पल था." मीथेन की उच्च मात्रा वाली अवधि दो महीने तक रही. छह हफ्ते बाद लिए गए नमूने में वह पूरी तरह गायब हो गया था.
अज्ञात स्रोत
एक सिद्धांत यह है कि मीथेन का उत्पादन गेल क्रेटर के नजदीक कभी कभी होता है और उत्पादन रुकने के बाद गैस फैलने लगता है. नासा की क्यूरियोसिटी टीम के सुशील आत्रेय का कहना है कि मीथेन मंगल की सतह पर कॉस्मिक धूल के सौर अल्ट्रावायलेट रेडियेशन से पैदा हो सकता है. उनका यह भी कहना है कि यदि मंगल की सतह के नीचे पानी है तो पत्थर और पानी के संपर्क से भी मीथेन गैस पैदा हो सकती है.
दूसरी संभावना यह है कि मंगल पर मौजूद माइक्रोब मेटाबोलिक प्रक्रिया में मीथेन का उत्पादन कर रहे हैं. वैज्ञानिक इस समय यह भी बताने की हालत में नहीं है कि मीथेन का स्रोत आधुनिक है या वह कहीं जमा गैस में लीक के कारण निकल रहा है. उन्हें फिलहाल इतना पता है कि यह स्रोत किसी खास जगह पर है और छोटा है. लेकिन आत्रेय का कहना है कि यह जानकारी इतना तो बता ही रही है कि मंगल फिलहाल सक्रिय है और उसका सतह या सतह के नीचे का हिस्सा वातावरण के साथ संवाद कर रहा है.
एमजे/एजेए (एएफपी)