मंगल की कक्षा में पहुंचा मेवेन
२२ सितम्बर २०१४10 महीने में 71,10,000,00 किलोमीटर की दूरी तय करके नासा का मेवेन मंगल गृह के बहुत करीब आ गया है. प्रोजेक्ट मैनेजर डेविड मिचेल ने कहा, "वाह क्या रात थी. मंगल की कक्षा में आने का एक ही मौका होता है और मेवेन ने यह कर दिखाया."
मेवेन यानी 'मार्स ऐट्मॉस्फियर एंड वोलेटाइल एवल्यूशन' स्पेसक्राफ्ट का मकसद है पता करना कि कई अरब साल पहले मार्स में मौजूद पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड का क्या हुआ. मंगल ग्रह का वायुमंडल कैसे खत्म हो गया, यह विज्ञान के बड़े रहस्यों में माना जाता है. अगर इस सवाल का जवाब मिल जाता है तो वैज्ञानिकों को पता चल सकेगा कि मंगल ग्रह में किस हद तक जीव पनप सकते हैं.
मेवेन के जरिए यह भी पता चल सकेगा कि मंगल ग्रह पर जाने के लिए मनुष्यों को किस तरह की तैयारी करनी पड़ेगी. हो सकता है कि यह 2030 तक मुमकिन हो जाए. मेवेन वैज्ञानिक टीम के जॉन क्लार्क का कहना है, "मंगल एक ठंडी जगह है, तापमान शून्य डिग्री से भी बहुत नीचे है. हमारी सांस में जितनी हवा आती है, उतना वहां का वायुमंडल है. लेकिन हमें पता है कि मंगल बदल सकता है और शायद अतीत में यह अलग था. हमारे पास काफी सबूत है कि मंगल की सतह पर प्राचीन काल में पानी बहता था."
मिशन का अगला पड़ाव
इसके बाद मेवेन छह हफ्तों के टेस्ट फेस में आएगा. फिर एक साल तक वह मंगल के ऊपरी वायुमंडल में गैसों का अध्ययन करेगा और देखेगा कि धूप और सूरज से निकलने वाली हवा का मंगल ग्रह पर क्या असर होता है. एक साल के मिशन में मेवेन मंगल ग्रह के चक्कर काटता रहेगा. लेकिन इस दौरान वह पांच बार मार्स की सतह के बिलकुल करीब जाएगा और वहां की सतह के बारे में जानकारी हासिल करेगा.
नासा ने मंगल ग्रह पर वाइकिंग 1 और 2 मिशन भेजे थे. अक्टूबर 2005 में मार्स रेकोनेसांस ऑरबिटर भेजा गया था. अब नासा का क्यूरियॉसिटी रोवर गेल क्रेटर और माउंट शार्प का अध्ययन कर रहा है. वह वहां से पत्थर के सैंपल और डाटा जमा कर रहा है.
इस हफ्ते भारत का मंगलयान भी अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगा.
एमजी/एएम (डीपीए, एएफपी)