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भ्रष्ट मीडिया पर चीन का चाबुक

५ सितम्बर २०१४

चीन में कंपनियों को डरा धमकाकर पैसा वसूलने वाले आठ पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है. आरोपियों में मशहूर बिजनेस अखबार की वेबसाइट का एक संपादक भी है. सरकार मीडिया में सफाई अभियान चला रही है.

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तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

चीन की पुलिस इसे जबरन वसूली का बड़ा रैकेट बता रही है. शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक हिरासत में लिए गए लोगों में "ट्वेंटिफर्स्ट सेंचुरी बिजनेस हेराल्ड" वेबसाइट के संपादक और उप संपादक भी शामिल हैं. वेबसाइट नानफांग मीडिया ग्रुप चलाता है. ग्रुप की मालिक गुआनडोंग प्रांत की सरकार है. अखबार को 2001 में सरकार ने शुरू किया. कारोबार जगत से जुड़ी खबरों को जनता तक पहुंचाने के लिए इसे खोला गया.

पुलिस के मुताबिक वेबसाइट के कर्मचारी बड़ी कंपनियों से पैसा वसूलते थे. पैसा देने वाली कंपनियों के बारे में अच्छी खबरें छापी जाती थीं और न देने वालों के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्टिंग की जाती थी. संदिग्धों पर यह भी आरोप है कि वे विज्ञापन पाने और कॉरपोरेशन एंग्रीमेंट करने के लिए भारी दबाव डालते थे. इनके बदले भी भारी रकम मांगते थे.

चीन में मीडिया की छवि बहुत अच्छी नहीं है. मीडिया संस्थानों पर रिपोर्ट छापने या न छापने के लिए पैसा वसूलना के आरोप लगते रहते हैं. इस साल सरकार ने इस पर काबू करने का एलान किया. जुलाई में प्रशासन ने चीन की सरकारी प्रसारण सेवा चाइना सेंट्रल टेलीविजन के मशहूर एंकरों को हिरासत में लिया. उन पर कवरेज का समय बढ़ाने के लिए पैसा लेने के आरोप लगे.

Symbolbild Polizei China
तस्वीर: Mark Ralston/AFP/Getty Images

हाल ही में अलीबाबा नामकी इंटरनेट शॉपिंग कंपनी ने भी आईटी टाइम्स पत्रिका पर बदनाम करने के लिए खराब रिपोर्ट छापने का आरोप लगाया. अलीबाबा के मुताबिक पैसा देने से इनकार करने पर कंपनी के खिलाफ खराब रिपोर्ट छापी गईं. इस बीच जांच कर रही पुलिस ने अखबारों, टीवी चैनलों और पत्रिकाओं के अहम रिकॉर्ड जमा कर लिए हैं. शंघाई की दो जनसंपर्क कंपनियां भी जांच के दायरे में हैं.

मीडिया संस्थानों का गैरकानूनी हथकंडे अपनाना नई बात नहीं. दो साल पहले भारत में भी कारोबारी सांसद ने एक निजी टीवी चैनल के संपादक पर वसूली के आरोप लगाए थे. ब्रिटेन में भी पुलिस को रिश्वत देकर एक अखबार ने मशहूर लोगों के फोन हैक किए.

ओएसजे/आईबी (एएफपी)