भ्रष्टाचार के दलदल में तुर्की
७ जनवरी २०१४सोमवार आधी रात को सरकार ने आदेश जारी करके इन अफसरों को बर्खास्त कर दिया. इन पर वित्तीय अनियमितताओं के अलावा तस्करी, साइबर अपराध और संगठित अपराध के आरोप हैं. निजी समाचार एजेंसी डोगान ने इस बात की जानकारी दी. लगभग 11 साल से तुर्की पर राज कर रहे एर्दोआन के काल में यह सबसे बड़ा स्कैंडल है और इससे उनकी सरकार पर भारी खतरा पैदा हो गया है.
इसमें बताया गया है कि निर्वासन में रह रहे मुस्लिम उलेमा फतेहुल्लाह गुलेन का देश के बड़े ओहदों पर कितना प्रभाव है और सरकार में किस ऊंची पहुंच तक उनकी बात चलती है. गुलेन अमेरिका में रहते हैं. उनके समर्थक सरकार में पुलिस और न्यायपालिका में महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए हैं.
सरकार पर संकट
प्रधानमंत्री एर्दोआन ने फौरन इस बात में विदेशी हाथ होने का अंदेशा जताया और कहा कि कोई उनकी सरकार गिराना चाहता है. इसके बाद उन्होंने बर्खास्तगी के फैसले कर लिए. इसमें इस्तांबुल के पुलिस प्रमुख भी शामिल हैं. विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री शिद्दत से अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
यह पूरा मामला 17 दिसंबर को उस वक्त शुरू हुआ, जब पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें एर्दोआन सरकार के मंत्रियों के बेटे भी शामिल थे. उन पर कई तरह की अनियमितताओं का आरोप था, जिसमें रिश्वत लेने और भ्रष्टाचार में शामिल होने की बात भी शामिल थी. आरोप था कि निर्माण विभाग में नए प्रोजेक्ट के लिए वे घूस ले रहे थे. इसके बाद एर्दोआन ने कहा कि वह सरकार के अंदर सरकार के सेटअप को तोड़ेंगे. उनका इशारा गुलेन समर्थकों की तरफ था.
अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में 1999 से रह रहे गुलेन ने मौजूदा संकट में किसी तरह का हाथ होने से इनकार किया है. वह स्वनिर्वासन में अमेरिका में हैं और 2002 में जब एर्दोआन सत्ता में आए थे, तो गुलेन के समर्थकों ने इसमें बड़ी भूमिका अदा की थी.
मौजूदा संकट के बाद सरकार की साख पर बट्टा लगा है और तुर्की की मुद्रा न्यू लीरा बहुत नीचे चली गई है. यूरोपीय संघ ने तुर्की से कहा है कि वह इस स्कैंडल की सही तरह से जांच करे. तुर्की का सिर्फ तीन चार फीसदी हिस्सा यूरोप में आता है लेकिन वह खुद को यूरोपीय देश मानता है और यूरोपीय संघ में शामिल होने की कोशिश कर रहा है.
एजेए/एमजे (एएफपी)