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भोपाल गैस कांड के दोषियों को जमानत

८ जून २०१०

26 साल बाद आया भोपाल गैस कांड में फैसला. 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत के जिम्मेदार ठहराए गए आठ दोषियों दो-दो साल की सजा सुनाई गई. सजा के फौरन बाद दोषियों को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत भी दे दी गई.

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तस्वीर: AP

23 साल तक चली सुनवाई, 178 लोगों की गवाही और तीन हज़ार से ज्यादा पन्नों के दस्तावेजों से गुजरने के बाद स्थानीय अदालत ने यह फैसला सुनाया. गैस त्राषदी के लिए जिम्मेदार बताए जाने वाले नौ आरोपियों में से एक की तो मौत भी हो चुकी है, लिहाजा बाकी के आठ को दोषी करार दिया गया. एक एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ दो-दो साल की सजा सुनाई गई.

दोषियों में यूनियन कारबाइड इंडिया के तत्कालीन निदेशक केशब महेंद्रा समेत विजय गोखले, किशोर कामदार, जे मुकुंद, एसपी चौधरी, केवी शेट्टी और एसआई कुरैशी शामिल हैं. अदालत ने माना कि इन लोगों की लापरवाही के चलते ही गैस कांड जैसा विनाशकारी हादसा हुआ. अभियोजन पक्ष का कहना है कि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट के डिजायन में भारी कमियां थीं, दुर्घटना इसी के चलते हुई. हादसे से दो साल पहले अमेरिकी विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरक्षा संबंधी कई कमियां बताई थीं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया.

Chemiefabrik in Bhopal
यूनियन कारबाइड की फैक्टरीतस्वीर: AP

लापरवाही और अनदेखी की वजह दो दिसबंर 1984 की रात भोपाल गैस हादसा हुआ. यूनियन कारबाइड इंडिया लिमिटेड के खाद बनाने वाले कारखाने से रात में 40 मीट्रिक टन जहरीली गैस रिसी. टॉक्सिक मेथाइल आइसोसाइनट नाम की इस गैस ने रातों रात हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. हादसे की चपेट में आए एक लाख से ज्यादा लोग आज भी कई तरह की बीमारियों से लड़ रहे हैं.

सरकार कहती है कि हादसे में 3,500 लोगों की मौत हुई जबकि राहत और बचावकर्मियों के मुताबिक गैस कांड में 25 हजार जानें गईं. कई पीड़ित आज भी मानवाधिकार संगठनों के साथ मिलकर राजधानी नई दिल्ली में टैंट तंबू गाड़कर इंसाफ की मांग कर रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि अदालत के फैसले ने राहत के बजाए जख्म हरे करने का काम किया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह