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भिक्षुओं का आतंकविरोधी दस्ता

४ अप्रैल २०१४

शांति और सद्भाव का असल जीवन में पालन करने वाले बौद्ध भिक्षु भी अब हिंसा के बढ़ते मामलों से अछूते नहीं रहे है. सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन चीन का एक मठ भिक्षुओं को ट्रेनिंग देकर एक 'एंटी-टेररिस्ट' दस्ता बना रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

चीन के एक बौद्ध मठ ने भिक्षुओं का एक आतंकविरोधी दस्ता बनाया है. पिछले महीने चीन के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर कुछ आतंकवादियों ने चाकुओं से हमला कर 33 लोगों की जान ले ली थी. अधिकारियों के अनुसार वे सुदूर पश्चिम के शिनजियांग प्रांत से आए थे. मरने वालों में चार हमलावर भी थे. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इसी दुर्घटना ने बौद्ध मठ के प्रशासकों का ध्यान खींचा और उन्होंने इस बारे में कोई कदम उठाने की ठानी.

बौद्ध भिक्षु भविष्य में ऐसी किसी घटना को रोकने के लिए पहले से खुद को तैयार करना चाहते हैं. पूर्वी चीन का एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ अपने भिक्षुओं का 'एंटी-टेररिस्ट' दस्ता बना रहा है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इस मंदिर के बौद्ध मास्टर जुएहेंग के हवाले से बताया है कि हांगजू शहर के करीब 1,700 साल पुराने लिंगयिन मंदिर में 20 भिक्षु और 20 सुरक्षाकर्मी साथ ट्रेनिंग कर रहे है.

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हिंसा से दो चार होते भिक्षुतस्वीर: dapd

इस भिक्षु दस्ते के सभी सदस्य लाठी, ढाल, काली मिर्च के स्प्रे और इन्हीं जैसी कई चीजें इस्तेमाल करते हैं. ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी चीनी मठ ने संगठित रूप से ऐसे सुरक्षा दस्ते का गठन किया है. मास्टर जुएहेंग कहते हैं, "दस्ते के सदस्य दिन में बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और रात को ट्रेनिंग करते हैं." यहां तक कि पुलिस भी इस ट्रेनिंग में भिक्षुओं की मदद कर रही है. जुएहेंग आगे बताते हैं, "स्क्वॉड बनाने का मकसद हिंसा और आतंकी हमलों से पर्यटकों और बौद्ध लोगों को बचाना है."

चीन के रेलवे स्टेशन पर हुई उस हिंसक घटना को हुए करीब एक महीना हो चुका है लेकिन लोगों में अब भी घबराहट है. पिछले साल तियानानमेन स्क्वैयर पर हुई एक घटना में एक गाड़ी पर्यटकों को रौंदते हुए गुजर गई. इस घटना में भी कार में सवार तीन लोगों और रास्ते में खड़े दो लोगों की मौत हो गई थी. चीन में इसे भी शिनजियांग मिलिशिया की अंजाम दी हुई वारदात माना गया. अभी तक हुई ऐसी कई हिंसक घटनाएं आमतौर पर शिनजियांग प्रांत में ही हुई है. इन हमलों का निशाना आमतौर पर पर्यटकों और धार्मिक स्थानों के बजाय सुरक्षा बल और सरकारी अधिकारी रहे हैं.

आरआर/एमजे(रॉयटर्स)