भारी मन से उठे भारी ताबूत
१७ दिसम्बर २०१४अख्तर हुसैन आखिरी बार अपने 14 साल के बेटे फहद को आंख भर देख लेना चाहते हैं लेकिन उनकी आंखों से बहते आंसू उनकी नजर को धुंधला कर दे रहे हैं. सालों तक दुबई में काम करके अपने बच्चे को पढ़ाने वाले हुसैन को कोई संभाल नहीं पा रहा है, "उन्होंने कुछ मिनटों में वह सब तबाह कर दिया, जिसके लिए मैं पूरी जिंदगी जीया - मेरा बेटा."
पेशावर के सैनिक स्कूल में मारे गए 141 लोगों के लिए नमाजे जनाजा पढ़ाने का सिलसिला जो मंगलवार को शुरू हुआ, वह बुधवार को भी जारी रहा. शाहरुख खान नाम का छात्र भी उस वक्त स्कूल में था, जब तालिबान के आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. वह एक डेस्क के नीचे छिप गया. पर साथियों को दफ्न होते देख शाहरुख खुद पर काबू नहीं रख पाया. अपनी सुबकी और चीख दबाने के लिए उसने स्कूल ड्रेस की टाई अपने मुंह में ठूंस ली, "मैंने काले रंग के बूटों का जोड़ा मेरी तरफ आते देखा. शायद यह शख्स उन बच्चों को ढूंढ रहा था, जो डेस्क के नीचे छिप गए थे. वह चुन चुन कर वहां लेटे बच्चों को गोली मार रहा था."
16 साल के शाहरुख ने क्लासरूम और स्कूल के दुनिया से बाहर का तांडव देख लिया, "मैं भी वहां पड़ा रहा और किसी गोली का इंतजार करने लगा. मैंने आंखें बंद कर लीं. मेरा पूरा शरीर कांप रहा था. मैं काले बूटों के इस जोड़े को जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा."
मंगलवार को पेशावर के वरसाक रोड पर आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला हुआ. यह संस्था पूरे पाकिस्तान में स्कूल चलाती है. यहां 10 से 18 साल के बच्चे पढ़ते हैं. पाकिस्तान में यूं तो आतंकवादी हमले होते रहते हैं लेकिन यह शायद पहला मौका था, जब आतंकवादियों ने बच्चों को निशाना बनाया और इस बड़ी संख्या में लोगों की जान गई.
पाकिस्तान की सरकार ने बच्चों के मारे जाने के बाद तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का एलान किया है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंकवाद से जुड़े मामलों में मौत की सजा को खत्म करने का फैसला वापस ले लिया है. यानि पाकिस्तान आतंकवादियों को मौत की सजा दे सकता है. इससे पहले भरे मन से शरीफ ने कहा, "यह मेरा जाति नुकसान है. ये मेरे बच्चे थे. ये मेरे वतन का नुकसान है."
पाकिस्तानी तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि तालिबान "साथियों और उनके परिवारों" की हत्या के बदले में उसने यह कार्रवाई की है. इसके प्रवक्ता मुहम्मद खोरसानी का कहना है, "हम ऐसा कर रहे हैं ताकि हम उन्हें अहसास करा सकें कि जब आपके अपने मरते हैं, तो आपको कैसा दर्द होता है. हम ऐसा कर रहे हैं ताकि उनके परिवार भी शोक मना सकें, जैसा कि हमारे परिवार मना रहे हैं."
इरशादा बीबी की उम्र सिर्फ 40 साल है, जिनका 12 साल का बेटा इस खूनी खेल में खत्म हो गया. बीबी की समझ में नहीं आ रहा है कि उनके बेटे का कसूर क्या था, "या खुदा, तुमने मेरे बच्चे को क्यों छीना? उसका गुनाह क्या था? उसके साथी दूसरे बच्चों का क्या गुनाह था?" जहां बच्चों को गोली मार दी गई, वहीं कुछ टीचरों को जिंदा जला दिया गया. इसे पाकिस्तान के इतिहास में यह सबसे क्रूर हमलों में गिना जा रहा है.
पाकिस्तान की सेना ने जून से तालिबान के खिलाफ जर्बे अज्ब नाम से सख्त कार्रवाई शुरू की है, जिसमें 1,600 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया जा रहा है. सेना के रिटायर्ड जनरल और सुरक्षा जानकार तलत मसूद का कहना है, "आतंकवादियों को पता है कि वे सेना पर हमला नहीं कर सकते. उनकी इतनी कूवत नहीं है. लिहाजा वे आसान निशाने को लक्ष्य कर रहे हैं."
मुख्य रूप से उत्तरी वजीरिस्तान में बसे कबायली लड़ाकों ने मिल कर पाकिस्तान में तालिबान नाम का संगठन बनाया. इस इलाके की सीमा अफगानिस्तान से मिलती है. पाकिस्तान ने जब से खुद को अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ युद्ध से जोड़ा है, यह संगठन पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ लड़ रहा है. लेकिन आधिकारिक तौर पर 2007 से पहले इसका गठन नहीं हुआ था. तब इसके साथ कई और छोटे छोटे संगठन जुड़ गए और उन्होंने टीटीपी (तहरीके तालिबान इन पाकिस्तान) बना लिया. इसका लक्ष्य पाकिस्तान से लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ कर वहां शरीयत लागू करना है. उन्हें अफगानिस्तान के तालिबान और अल कायदा का समर्थन हासिल है. उन्होंने कई बार पाकिस्तान के सरकारी इदारों और सेना पर हमला किया है.
पाकिस्तान की सरकार ने उनसे निपटने के लिए पिछले सालों में कई ऑपरेशन चलाए हैं. पिछले साल प्रधानमंत्री बनने के बाद नवाज शरीफ ने तालिबान से बातचीत करने का वादा किया था. लेकिन इस साल जून में कराची अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तालिबान के हमले के बाद सेना ने फिर से सख्त रवैया अपना लिया. इससे पहले तालिबान ने 2007 में बेनजीर भुट्टो की रैली में धमाका करके 139 लोगों को मार दिया था. 2009 में पेशावर के बाजार में हुए कार बम हमले में भी 125 लोगों की जान गई थी, जबकि इसी तरह के हमले उसके आगे भी होते रहे. दो साल पहले अक्टूबर 2012 में तालिबान ने स्वात घाटी में मलाला यूसुफजई पर कातिलाना वार किया था. मलाला को इस साल नोबेल का शांति पुरस्कार दिया गया है.
भारत ने पड़ोसी देश पाकिस्तान में हुए इस हादसे पर स्तब्धता जताई है. भारत के स्कूलों में बुधवार को मारे गए बच्चों के लिए विशेष प्रार्थना की गई और दो मिनट का मौन रखा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख की इस बेला में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से बात करने के बाद ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री (नवाज) शरीफ से कहा कि हम इस दुख की घड़ी में हर मदद को तैयार हैं."
एजेए/ओएसजे (एएफपी, डीपीए, एपी)