'भारत से आया बैक्टीरिया एक टाइम बम'
१५ सितम्बर २०१०यह एक टाइम बम जैसा है, फ्रांस के बिसेत्रे अस्पताल के पैट्रिस नॉर्डमान का कहना है. वे कहते हैं कि बहुत जरूरी हो गया है कि इस बैक्टीरिया पर काबू पाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय जांच प्रणाली तैयार की जाए, और फिर जितने देशों में हो सके, सभी मरीजों की जांच की जाए.
पैट्रिस नॉर्डमान ने कहा कि अभी तक यह पता नहीं चला है कि कितनी तेजी से यह विषाणु फैल रहा है. हो सकता है कि इसके फैलने में महीनों या सालों लग जाएं. लेकिन इतना निश्चित है कि यह फैलने वाला है. उन्होंने सूचित किया कि फ्रांस में इसके खिलाफ कदम उठाए जाने पर सहमति हो चुकी है, और जापान, सिंगापुर व चीन में इस पर विचार किया जा रहा है.
इस सुपरबग को एनडीएम-1 (न्यू दिल्ली मेटालो-बेटा-लैक्टामासे 1) का नाम दिया गया है. माना जाता है कि भारत में पहली बार ये देखने को मिला और सन 2007 में ब्रिटेन में इसका पता लगा, जब भारत से आए एक रोगी के शरीर में इसे पाया गया.
संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों के बोस्टन में हुए एक सम्मेलन में नॉर्डमान ने इस बैक्टीरिया के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एडीएम-1 एक जीन है, जो एक एंजाइम पैदा करता है. इस एंजाइम से लगभग सभी एंटीबायोटिक निष्क्रिय हो जाते हैं. सबसे खतरनाक बात यह है कि यह जीन तेजी के साथ एक बैक्टीरिया से दूसरे में जा सकता है. अब तक ब्रिटेन में 70 व भारत और पाकिस्तान में 170 लोगों में इसे पाया गया है.
इसके अलावा कनाडा, अमेरिका, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, फ्रांस व जर्मनी सहित अन्य देशों में भी इसके लक्षण पाए गए हैं.
भारत में इसके फैलने की एक वजह यह है कि वहां एंटीबायोटिक दवाइयों का बेतहाशा इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा स्वच्छता का अभाव भी इसके फैलने का एक मुख्य कारण है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: महेश झा