रोबोटिक सर्जरी से बड़ा बदलाव
४ सितम्बर २०१४सवा अरब की आबादी वाले देश भारत में कई लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली से संघर्ष करते हैं. शहरों में स्वास्थ्य प्रणाली अत्यधिक बोझ से दबी हुई है, तो गांवों में चिकित्सा प्रणाली लगभग न के बराबर है. आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं कई लोगों की पहुंच के बाहर हैं तो कई ऐसे हैं जो खर्च नहीं उठा सकते. यह शायद विडंबना ही है कि दूसरी छोर पर रोबोटिक सर्जरी भारत में लोकप्रिय हो रही है.
बस एक या दो चीरे
नई दिल्ली में एक सुबह हमारी मुलाकात 19 वर्षीय शिवानी कुमारी से होती है. शिवानी को व्हील चेयर पर बिठाकर ऑपरेशन थिएटर ले जाया जा रहा है, जहां उसकी थाइमस ग्रंथि को हटाया जाएगा. शरीर के ऊपरी हिस्से के मध्य क्षेत्र में उसकी स्थिति और हृदय के पास थाइमस की मौजूदगी सर्जरी के लिए खास चुनौती होती है. लेकिन शिवानी खुश नजर आ रही हैं और उसे पता है कि नतीजा क्या होने वाला है. शिवानी कहती हैं, "मुझे ठीक लग रहा है और मैं नर्वस नहीं हूं. मैंने इस तकनीक के बारे में सुना है, यह कोई निशान नहीं छोड़ती. मुझे केवल एक या दो ही चीरों से गुजरना होगा, वह भी बेहोशी की हालत में और यह बिना दर्द के हो जाएगा. कोई भी अपने शरीर में बड़ा निशान नहीं चाहता."
लीवर और पैडल के जरिए
रोबोटिक सर्जरी संस्थान के निदेशक डॉक्टर अरविंद कुमार एक खास कंसोल पर बैठते हैं. कंसोल के जरिए उन्हें शिवानी की थाइम ग्रंथि की 3डी छवि मिलेगी, जो उच्च रिजॉल्यूशन वाली होगी. शिवानी को एनेसथिसिया देने के बाद डॉक्टर अरविंद ऑपरेशन शुरू करते हैं. वे कंसोल पर लगे लीवर, पैडल और बटन के जरिए रोबोट को नियंत्रित करते हैं.
इस काम में वे अपने हाथ, पैर, अंगुलियों और कलाई का इस्तेमाल करते हैं. अरविंद कुमार भारत में रोबोटिक चेस्ट सर्जरी करने वाले पहले सर्जन हैं. उनका केंद्र हर साल 400 बड़े केस संभालता है. हालांकि माना जाता है कि रोबोटिक सर्जरी भारत में अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, 30 से ज्यादा बहु उद्देश्यीय अस्पतालों में रोबोटिक सर्जरी की सेवा दी जा रही है और धीरे धीरे इसकी पकड़ मजबूत हो रही है.
हृदय रोग और मोटापे के लिए
दिल्ली के गंगा राम अस्पताल के सर्जन डॉक्टर बेलाल बिन आसफ इस विधि की बढ़ती मान्यता की पुष्टि करते हैं. वे कहते हैं, "हां, निश्चित रूप से इसका विस्तार होगा. फिलहाल भारत में बहुत से कॉरपोरेट और मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल खुल रहे हैं. जब ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस खूबसूरत मशीन की क्षमता का अहसास होगा तब मुझे लगता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे खरीदेंगे. फिलहाल इसकी सीमित होने की एक वजह इसकी शुरुआती लागत है. समय के साथ और बढ़ते इस्तेमाल से इसकी कीमत नीचे आ जाएगी."
सर्जिकल रोबोटिक प्रणाली यूरोलॉजी, स्त्री रोग, हृदय रोग, मोटापे के क्षेत्र और साथ ही साथ नींद से जुड़ी कुछ बीमारियों को दूर करने के लिए होती है. डॉक्टर कुमार कहते हैं कि भारत ने पिछले कुछ सालों में उल्लेखनीय प्रगति की है.
रिपोर्ट: मुरली कृष्णन/एए
संपादन: ईशा भाटिया