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भारत में नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा शुरू

२० जनवरी २०११

भारत में मोबाइल फोन ग्राहकों के लिए नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा शुरू हो गई है. गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस सेवा की शुरुआत की. अब ग्राहक अपना एक नंबर रख सकेंगे और साथ ही ऑपरेटिंग कंपनियों की सेवाएं बदल सकेंगे.

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तस्वीर: DW

घर बदला लेकिन नए मकान में मोबाइल के सिग्नल नहीं आए. अब तक भारत में ऐसा होने पर सिम कार्ड यानी नंबर बदलना पड़ता था. आस पास के लोगों से पूछकर दूसरी कंपनी को सिम लेकर आजमाया जाता था. दो तीन साल में घर या नौकरी फिर बदलने पर फिर यही किस्सा दोहराना पड़ता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

20 जनवरी से देश भर में नंबर पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू होने के बाद ग्राहक अपना मोबाइल नंबर हमेशा अपने पास रख सकेंगे. उसी नंबर पर वह एयरटेल, वोडाफोन, आईडिया, एयरसेल, बीएसएनएल, टाटा या रिलांयस की सुविधाएं ले सकेंगे. कंपनी बदलने के लिए ग्राहकों को ऑपरेटर को सिर्फ 19 रुपये देने होंगे. हालांकि नया ऑपरेटर फीस घटा या बढ़ा सकता है.

मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी को एमएनपी कहा जा रहा है. एमएनपी के तहत ग्राहक को पुरानी कंपनी की सेवाएं कम से कम तीन महीने तक लेनी होंगी, इसके बाद ही वो एमएनपी के लिए आवेदन कर सकेंगे.

वैसे हरियाणा में पिछले साल नवंबर से ही एमएनपी शुरू हो चुकी है. एमएनपी सुविधा के बाद मोबाइल कंपनियों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है. एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया जैसी कंपनियों ने देश के ज्यादातर हिस्सों में अपना नेटवर्क जाल बिछा दिया है. इन्हें उम्मीद है कि दूसरे ऑपरेटरों से निराश ग्राहक एमएनपी के जरिए उनकी झोली में आ गिरेंगे.

आईडिया ने अभी से विज्ञापन जंग भी छेड़ दी है. अपनी विज्ञापन में कंपनी कहती है, ''नो आईडिया, गेट आईडिया'' यानी अगर आईडिया नहीं है या कोई तकलीफ है तो आईडिया ले लें. विशेषज्ञ कहते हैं कि एमएनपी से ग्राहकों के अधिकार मजबूत हुए हैं वहीं ऑपरेटरों के सामने भी बढ़िया सेवाएं देने की चुनौती खड़ी हो गई है. अगर किसी खास इलाके या राज्य में कोई ऑपरेटर ऐसा नहीं करेगा तो धंधे से बाहर होने का जोखिम खड़ा हो जाएगा.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: आभा एम