भारत में तलाक लेना होगा आसान
१२ जून २०१०भारत की सूचना मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि कानून में बदलाव लाने के प्रस्ताव के मुताबिक अगर पति या पत्नी जानबूझकर अदालत नहीं आते तो तलाक की अर्ज़ी देने वाले व्यक्ति को तलाक मिलने में आसानी होगी.
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत अगर किसी शादी में सुधार की गुंजाइश न हो तो इस तर्क को क़ानूनी तौर पर तलाक लेने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसा भारत में पहली बार हो रहा है.
सुप्रीम कोर्ट की एक वकील कामिनी जायसवाल ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि इस कदम का इस युग में स्वागत किया जा रहा है. हालांकि इससे केवल शहरों में रहने वाली महिलाओं को फायदा होगा. गांव में रहने वाली महिलाएं वैसे ही अपने पतियों के शोषण का निशाना बनी रहती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि शहरों में आजकल तलाक को सामाजिक स्वीकृति तो मिली है लेकिन तलाक मिलने में 6 महीने से लेकर 20 साल तक लग सकते हैं.
पिछले साल भारत के सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि कानूनी ढांचे द्वारा शादियों को कायम रखने की कोशिश की जानी चाहिए लेकिन साथ ही पूरी तरह से अलग रहने वाले दमपत्तियों को तलाक देने से पीछे नहीं हटना चाहिए.
तलाक के सिलसिले में औपचारिक आंकड़ें तो नहीं हैं लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि हर 1000 शादियों में 11 के तलाक हो जाते हैं. इसके मुकाबले अमेरिका में हर 1000 शादियों में से 400 टूट जाते हैं.
रिपोर्टःएजेंसियां/एम गोपालकृष्णन
संपादनः ए जमाल