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भारत में जातिगत जनगणना अगले साल

९ सितम्बर २०१०

भारत सरकार अगले साल जाति आधारित जनगणना करेगी. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट से यह फैसला किया. यह काम अगले साल हो रही सामान्य जनगणना से अलग होगा.

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तस्वीर: AP

भारत में हर 10 साल पर आबादी गिनी जाती है और 2011 में नियमित रूप से यह काम किया जाएगा. लेकिन जाति के आधार पर लोगों के गिनने का काम उससे अलग होगा.

भारत में 1931 के बाद से पहली बार जाति के आधार पर आबादी गिनी जा रही है. इसके पीछे कारण दिया गया है कि इससे देश की सबसे पिछड़ी जातियों के लिए नीति बनाने में और उसे लागू करने में आसानी होगी और उन्हें प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा. भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया, "जून से सितंबर 2011 के बीच अलग से घर घर जाकर जाति आधारित जनगणना की जाएगी. इससे वो सभी जरूरते पूरी होंगी जिस पर भारी बहस की गई थी." भारत में पहली बार 1872 में जनगणना हुई थी और उस वक्त लोगों से उनकी जाति पूछी गई थी.

Indien Innenminister P. Chidambaram
तस्वीर: UNI

भारत में जातिगत भेदभाव गैरकानूनी है लेकिन फिर भी गांवों में ये प्रथा जारी है. भारत में आम जनगणना इसी अप्रैल में शुरू की गई है. इसके अलावा भारत के हर नागरिक को अलग पहचान पत्र देने की बात है, जिसके लिए उनकी तस्वीर और अंगुलियों के निशान (बायोमैट्रिक्स) जमा किए जाएंगे. लेकिन यह काम जनगणना से अलग किया जाएगा.

जनगणना में करीब 20 लाख 50 हजार अधिकारी भारत की 1.2 अरब आबादी को धर्म, लिंग, नौकरी और शिक्षा के आधार पर गिनेंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए जमाल