भारत मांगे कोहिनूर
२ जून २०१०भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक गौतम सेनगुप्ता ने बताया कि भारत के खजाने की लिस्ट बहुत लंबी है, जिन्हें बाहर ले जाया गया है. इसे वापस पाने के लिए राजनयिक और कानूनी मदद की दरकार है. भारतीय खजाने से ले जाई गई धरोहर ब्रिटिश म्यूजियम, रॉयल कलेक्शन और बर्मिंघम म्यूजियम जैसी जगहों पर रखी गई हैं.
ब्रिटेन के अखबार इंडिपेंडेंट को दिए इंटरव्यू में सेनगुप्ता ने कहा कि दशकों से भारत इन धरोहरों की वापसी के लिए एकतरफा प्रयास कर रहा है, जिसमें उसे सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से मदद लेने का फैसला किया गया है. भारत ने इस काम के लिए दूसरे देशों से भी मदद मांगी है.
उन्होंने कहा, "भारत से चुराई गई धरोहर को वापस पाने की कोशिश बेकार साबित हुई है. अब इसे पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुहिम चलानी होगी, जिसमें यूनेस्को का साथ जरूरी है. सिर्फ भारत ही नहीं, मेक्सिको, चीन, पेरू, बोलीविया, साइप्रस और ग्वाटेमाला जैसे देशों ने भी अपने यहां से लूटी गई धरोहरों को वापस पाने के लिए मिल कर अंतरराष्ट्रीय मुहिम में हिस्सा लेने का फैसला किया है."
हालांकि एएसआई के महानिदेशक का मानना है कि यह काम इतना आसान नहीं कि खजाने की सभी चीजें वापस आ जाएं. उन्होंने कहा, "एक बार यह लिस्ट पूरी तरह तैयार हो जाए, फिर सभी देश मिल कर साझा कदम उठा सकते हैं. इसमें कानूनी और राजनयिक दबाव की भी जरूरत पड़ेगी."
बर्मिंघम म्यूजियम की प्रमुख रीटा मैकलीन का कहना है कि उन्हें आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है, जिसमें धरोहर वापसी की मांग की गई हो. इस म्यूजियम में सुलतानगंज के मशहूर बुद्ध की प्रतिमा है. मैकलीन कहती हैं कि ऐसे किसी प्रयास पर सही कार्रवाई की जाएगी.
ब्रिटिश समाचारपत्र के मुताबिक ब्रिटिश म्यूजियम का कहना है कि भारतीय अधिकारियों ने जिन चीजों का जिक्र किया है, उन्हें कानूनी तौर पर यहां लाया गया था.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः महेश झा