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भारत के हाइवे बनाना चाहती हैं चीनी कंपनियां

१५ सितम्बर २०१०

चीन की कई बड़ी कंपनियां भारत के हाइवे बनाना चाहती हैं. चीनी कंपनियां जम्मू कश्मीर में भी भारत के लिए सड़कों का जाल बिछाना चाहती हैं. केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने चीनी निवेश का स्वागत किया. कहा, ये जबरदस्त बिजनेस है.

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तस्वीर: AP

बीजिंग पहुंचे भारतीय सड़क एंव परिवहन मंत्री कमलनाथ ने चीनी कंपनियों की इच्छा का स्वागत किया. विदेशों में निवेश करने वाली चीन की सबसे बड़ी कंपनियां भारत के हाइवे प्रोजेक्ट में गहरी दिलचस्पी दिखा रही हैं. कमलनाथ ने कहा, ''चीनी कंपनियों को भारत में बड़े मौके दिखाई पड़ रहे हैं. हमने बीते साल में 118 योजनाओं के तहत जो 7,500 किलोमीटर लंबी सड़के बनाई हैं, उससे चीनी कंपनियां आश्चर्य में पड़ गई हैं. हम इस साल 10,000 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का काम पूरा करने जा रहे हैं.''

सड़क एंव परिवहन मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सड़कें बनाने का काम एक चीनी कंपनी को सौंप दिया गया है. किसी भी तरह की सामरिक चिंताओं को खारिज करते हुए कमलनाथ ने कहा, ''वे सड़कें खोदने के लिए हमारे यहां अपने लोग नहीं भेज रहे हैं.''

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भारत के हाइवे प्रोजेक्ट में चीन की रुचितस्वीर: picture alliance/dpa

बढ़िया हाइवे बनाकर उन पर टोल टैक्स वसूलने का फॉर्मूला कमलनाथ ने चीनी कंपनियों के सामने रखा. उन्होंने कहा, ''मैंने उन्हें मॉडल बताया. वे जानना चाहते हैं कि टोल रोड बिजनेस कैसा चल रहा है. मैंने उन्हें बताया कि सफलता से चल रहा है.'' माना जा रहा है कि भारत के वाहन उद्योग की तेजी के चलते यह धंधा सोने की तरह चमकने जा रहा है. चीनी कंपनियां भी चाहती हैं कि बहती गंगा में हाथ धो लिए जाएं.

कमलनाथ का कहना है कि भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का चेहरा चमका दिया जाएगा. हालांकि उन्होंने माना कि जमीन अधिग्रहण को लेकर दिक्कतें आ रही हैं. नेशनल हाइवे एक्ट के तहत सरकार जमीन ले सकती है लेकिन इसमें काफी वक्त बर्वाद हो जाता है. भारत में अब तक सड़कें बनाने का ज्यादातर काम ठेकेदार या सरकारी महकमे करते आए हैं. इन पर आरोप लगते रहे हैं कि दूर दराज के इलाकों में ये खराब सड़कें बनाते हैं. भारत आर्थिक मामलों में दुनिया के कई देशों को कड़ी टक्कर दे रहा है. पश्चिमी देश कहते हैं कि भारत और धमाकेदार ढंग से विकास कर सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए उसके पास उम्दा सड़कों के व्यापाक जाल होना चाहिए.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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