भारत के दस बड़े घोटाले...
सत्ता और कारोबार के घालमेल ने सरकारी खजाने को अब तक काफी नुकसान पहुंचाया है. अकसर किसी न किसी घोटाले की खबर आती ही रहती है. डालते हैं भारत के दस बड़े घोटालों पर एक नजर, जिसने निवेशकों और आम जनता को हिला कर रख दिया.
कोयला घोटाला, 2012
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान साल 2012 में यह मामला सामने आया. यह घोटाला पीएसयू और निजी कंपनियों को सरकार की ओर से किये गये कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा है. इसमें कहा गया था कि सरकार ने प्रतिस्पर्धी बोली के बजाय मनमाने ढंग से कोयला ब्लॉक का आवंटन किया, जिसके चलते सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
2जी घोटाला, 2008
देश में तमाम घोटाले सामने आये हैं लेकिन 2जी स्कैम इन सबसे अलग है. कैग की रिपोर्ट के मुताबिक टेलिकॉम क्षेत्र से जुड़े इस घोटाले के चलते सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ. कैग ने साल 2010 की अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस पहले आओ, पहले पाओ की नीति पर बांटे गये लेकिन अगर इन लाइसेंस का आवंटन नीलामी के आधार पर होता तो खजाने को कम से कम 1.76 लाख करोड़ रुपये मिलते.
वक्फ बोर्ड भूमि घोटाला, 2012
कर्नाटक राज्य अल्पसंख्क आयोग के चेयरमैन अनवर मणिपड़ी द्वारा पेश रिपोर्ट में कहा गया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड के नियंत्रण वाली 27 हजार एकड़ भूमि का आवंटन गैरकानूनी रूप से किया गया. 7500 पन्नों की इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक में वक्फ बोर्ड ने 22 हजार संपत्तियों पर कब्जा कर उन्हें निजी लोगों और संस्थानों को बेच दिया. इसके चलते राजकोष को करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
कॉमनवेल्थ घोटाला, 2010
घोटालों की सूची में बड़ा नाम कॉमनवेल्थ खेलों का भी है. केंद्रीय सतर्कता आयोग ने अपनी जांच में पाया कि साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलों पर तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये. इसमें से आधी राशि ही खिलाड़ियों और खेलों पर खर्च की गई. आयोग ने जांच में तमाम वित्तीय अनियमिततायें पाईं, मसलन अनुबंधों को पूरा करने में अतिरिक्त विलंब किया गया.
तेलगी घोटाला, 2002
यह घोटाला अपने आप में कुछ अलग है. घोटाले के मुख्य दोषी अब्दुल करीम तेलगी की हाल में मौत हो गई है, इसे अदालत ने 30 साल कैद की सजा सुनाई थी. माना जाता है कि तकरीबन 20 हजार करोड़ के इस घोटाले की शुरुआत 90 के दशक में हई. तेलगी के पास स्टांप पेपर बेचने का लाइसेंस था लेकिन उसने इसका गलत इस्तेमाल करते हुए नकली स्टांप पेपर छापे और बैंकों और संस्थाओं को बेचना शुरू कर दिया.
सत्यम स्कैम, 2009
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज से जुड़े इस घोटाले ने निवेशकों और शेयरधारकों के मन में जो संदेह पैदा किया है उसकी भरपाई नहीं की जा सकती. यह कॉरपोरेट इतिहास के बड़े घोटालों में से एक है. साल 2009 में कंपनी के तात्कालीन चेयरमैन बी रामलिंगा राजू पर कंपनी के खातों में हेरफेर, कंपनी के मुनाफे को बढ़ाचढ़ा कर दिखाने के आरोप लगे. घोटाले के बाद सरकार द्वारा प्रायोजित नीलामी में टेक महिंद्रा ने अधिग्रहण कर लिया.
बोफोर्स घोटाला, 1980 और 90 के दशक में
देश की राजनीति में उथल-पुथल मचाने वाले इस घोटाले का खुलासा स्वीडन रेडियो ने किया था. इस घोटाले में कहा गया कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को रिश्वत दी. 400 तोपें खरीदने का यह सौदा साल 1986 में राजीव गांधी सरकार ने किया गया था, इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी आरोप लगे.
चारा घोटाला, 1996
साल 1996 में सामने आये इस घोटाले ने बिहार के पू्र्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का राज्य में एकछत्र राज्य समाप्त किया. 900 करोड़ रुपये का यह घोटाला जानवरों की दवाओं, पशुपालन से जड़े उपकरण से जुड़ा था जिसमें नौकरशाहों, नेताओं से लेकर बड़े कारोबारी घराने भी शामिल थे. इस मामले में यादव को जेल भी जाना पड़ा.
हवाला स्कैंडल 1990-91
यह पहला मामला था जिसमें देश की जनता को यह समझ आया कि राजनेता कैसे सरकारी कोष खाली कर रहे हैं. इस स्कैंडल से पता चला कि कैसे हवाला दलालों को राजनेताओं से पैसे मिलते हैं. इस स्कैंडल में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी सामने आया जो उस समय विपक्ष के नेता थे.
हर्षद मेहता स्कैम,1992
यह कोई आम घोटाला नहीं था. इस पूरे मामले ने देश की अर्थव्यस्था और राष्ट्रीय बैंकों को हिला कर रख दिया. हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी कर बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में लगाना शुरू कर दिया जिससे बाजार को बड़ा नुकसान हुआ. एक रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में बैंकों का पैसा लगाकर मेहता खूब लाभ कमा रहा था लेकिन यह रिपोर्ट सामने आने के बाद स्टॉक मार्केट गिर गया और निवेशकों सहित बैंकों को भी बड़ा नुकसान हुआ.