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अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दिल्ली की हार

ओंकार सिंह जनौटी११ फ़रवरी २०१५

दिल्ली के नतीजों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने हार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ा है. क्या कह रहा है दुनिया भर का मीडिया.

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तस्वीर: AFP/Getty Images/Ye Aung Thu

जर्मन अखबार हांडेलसब्लाट कहता है, "भारतीय प्रधानमंत्री मोदी दुनिया भर में उड़ते रहते हैं या शक्तिशाली लोगों को आमंत्रित करते हैं. दिल्ली के ज्यादातर लोग इसकी परवाह नहीं करते, उन्हें नौकरी और बिजली चाहिए. उन्होंने मोदी को एक तमाचा जड़ा है."

अखबार ने लिखा है, "मोदी ने 1.2 अरब आबादी वाले देश की जनता से वादा किया था कि वे नौकरियां पैदा करेंगे, सड़कें बनाएंगे और बिजली की लाइनें बिछाएंगे और साथ ही भ्रष्टाचार भी कम करेंगे. अब तक उनके सुधारों की रफ्तार धीमी है. उद्ममी निराश हैं क्योंकि लालफीताशाही के पर नहीं कतरे गए हैं. देश के लाखों गरीबों की शिकायत है कि विकास करते भारत में उनकी भागीदारी बहुत कठिन है."

जर्मनी के सरकारी चैनल एआरडी की दिल्ली स्थित पत्रकार सांड्रा पेटर्समन ने इसे "भारतीय प्रधानमंत्री को करारा तमाचा" बताया है. दिग्गज जर्मन अखबार डी वेल्ट ने भी इसे छापा है.

सुधारों पर असर

Indien Wahlen im Bundesstaat Neu Delhi
आम आदमी पार्टी को 67 सीटेंतस्वीर: Reuters/A. Abidi

एआरडी के ही समाचार अंक टागेसशाऊ ने लिखा है, "पिछले साल मई की जबरदस्त जीत के बाद यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली हार है. इससे भारत में सुधारों की रफ्तार धीमी पड़ेगी."

दिग्गज अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली के नतीजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हार बताया है. अपने संपादकीय में अखबार ने लिखा है, "राष्ट्रपति ओबामा के साथ शिखर बैठक में सफल कूटनीतिक ऊंचाई देखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घरेलू राजनीति जमीन पर ले आई है. 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा के चुनावों में उनकी और उनकी पार्टी बीजेपी कुचली गई."

अखबार ने आगे लिखा है कि दिल्ली की करारी हार नरेंद्र मोदी पर बड़ा दबाव डालेगी, "चुनाव का असर मोदी के प्रधानमंत्री पद पर और केंद्र सरकार पर नहीं होगा. लेकिन अब इस बात का बहुत ज्यादा दबाव बनेगा कि आर्थिक और शासन संबंधी वादे पूरे किए जाएं, हालांकि ऐसा करना बहुत कठिन होगा. बीजेपी को संसद के निचले सदन में बहुमत है लेकिन ऊपरी सदन में नहीं. इसके बिना मोदी टैक्स सुधार और अपने पंसदीदा सुधार नहीं कर पा रहे हैं."

आगे की राह कठिन

अखबार ने आम आदमी पार्टी की जीत के दूरगामी परिणामों की भविष्यवाणी की है और साफ कहा है कि दिल्ली की हार के बाद बीजेपी के लिए बिहार भी आसान नहीं होगा.

ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ ने दिल्ली के नतीजों को कांग्रेस के लिए "शर्मनाक भूस्खलन" बताया है. एक और ब्रिटिश अखबार गार्डियन ने इसे "मोदी को झटका" माना है. हालांकि एक ऑस्ट्रियन अखबार ने नतीजों को बीजेपी के लिए बहुत बड़ा झटका नहीं माना है. अखबार का कहना है की दिल्ली में बीजेपी का वोट शेयर करीब एक फीसदी ही गिरा है.