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भारतीय छात्र किर्गिस्तान में सुरक्षित: सरकार

१५ जून २०१०

किर्गिस्तान में हिंसा के बीच एक प्रोफेसर और 77 भारतीय छात्रों को ओश से सुरक्षित निकाल लिया गया है. किर्गिस्तान का यह शहर जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है. पूर्व सोवियत यूनियन के सदस्य देशों का सेना भेजने पर विचार.

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तस्वीर: AP

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि 116 भारतीय किर्गिस्तान में फंसे हुए हैं. इनमें 15 छात्र जलालाबाद में हैं, 99 छात्र, एक प्रोफेसर और एक कारोबारी ओश में हैं. विदेश मंत्रालय ने बताया कि किर्गिस्तान में भारतीय उच्चायोग छात्रों के साथ किर्गिस्तान के विदेश मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसियों और दूसरे विभागों के संपर्क में है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारतीय नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है.

ओश में चल रही जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 124 लोगों की जान गई है जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं. पूर्व सोवियत यूनियन के सदस्य देशों ने किर्गिस्तान में मदद के लिए हेलिकॉप्टर और दूसरे उपकरण भेजने का प्रस्ताव रखा है. इसके बाद सेना भेजने का भी विचार है.

Unruhen in Kirgisistan Flash-Galerie
तस्वीर: AP

कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसटीओ) ने इस पर विचार करने के लिए मॉस्को में बैठक की. किर्गिस्तान में चल रही हिंसा ने दक्षिण के दो शहरों को तबाही के कगार पर पहुंचा दिया है. हजारों उज्बेक नागरिक सीमा की तरफ भाग कर आसपास के गांवों में शरण ले रहे हैं.

रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव को सीएसटीओ के महासचिव निकोलाई बॉर्द्युजा ने बताया है कि सातों देशों के रक्षा प्रमुखों ने किर्गिस्तान की सरकार की मदद करने का प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है.

बॉर्द्युझा ने कहा कि किर्गिस्तान के पास पर्याप्त फौज है लेकिन हेलीकॉप्टर, गाड़ियां, दूसरे उपकरण और यहां तक कि ईंधन की भी कमी है.उन्होंने कहा कि प्रस्ताव जल्दी ही राष्ट्रप्रमुखों को भेज दिया जाएगा साथ ही हिंसा के लिए दोषी लोगों पर कार्रवाई करने की भी बात कही.

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हालांकि फौज भेजने के मसले पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. इससे पहले रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने आक्रामक उपाय करने के संकेत दिये थे और ऐसा लग रहा था कि वो सीएसटीओ की आपात बैठक भी बुला सकते हैं.

रूसी समाचार एजेंसियों के मुताबिक मेदवेदेव ने किर्गिस्तान की अंतरिम नेता रोजा ओटनबायेवा से कहा कि हिंसा रोकने के लिए कानून के दायरे में जो संभव हो उसे कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए. पिछले हफ़्ते रूसी राष्ट्रपति ने ओटनवायेवा की किर्गिस्तान में फौज भेजने की मांग को ठुकरा दिया था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ एन रंजन

संपादन: एस गौड़