भविष्य का यातायात
कार के शौकीन
अच्छे पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अभाव में जब ज्यादातर लोग कारों से दफ्तर जाने लगें तो लंबा ट्रैफिक जाम तो लगता ही है और प्रदूषण भी होता है. इससे बचने के लिए ही सार्वजानिक यातायात को बढ़ावा देना जरूरी है. जो लोग बस और ट्राम में बैठना पसंद नहीं करते, वे कम से कम कार शेयरिंग का रास्ता तो अपना ही सकते हैं.
ई-कारें
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कंपनियां ई-कारों का रुख कर रही हैं. बैट्री से चलने वाली ये कारें धुआं नहीं छोड़ती. जर्मनी सरकार की 2020 तक देश में कम से कम दस लाख ई-कारें उतारने की योजना है. हालांकि जनता में इसे लेकर खासा उत्साह नजर नहीं आ रहा. पिछले साल में इनकी इतनी कम बिक्री हुई है कि सरकार की योजना ठप पड़ती दिखती है.
सावर्जनिक यातायात
सार्वजानिक यातायात की अहमियत सबसे ज्यादा बड़े शहरों में समझ आती है. बस और टैक्सी के अलावा ट्राम और मेट्रो भी खचाखच भरी रहती हैं. एस्टोनिया की राजधानी टालिन में तो सार्वजानिक यातायात को बढ़ावा देने के लिए इसे लोगों के लिए मुफ्त कर दिया गया है, यानी पेट्रोल का खर्च तो बचा ही, टिकट खरीदने का भी कोई झंझट नहीं.
साइकिल की सवारी
21वीं सदी में भी साइकिल ने अपना करिश्मा नहीं खोया है. यातायात का यह जरिया सस्ता है, बिना किसी झंझट का है और पर्यावरण के लिए भी अच्छा है. साइकिल न तो शोर करती हैं, न ही धुआं छोड़ती हैं. न ही इसे ले कर पेट्रोल पम्प के बाहर कतार में खड़ा होने की जरूरत पड़ती है. पतली गली में साइकिल घुस जाती है.
ई-बाइक
जिन लोगों को साइकिल चलाना भी बहुत मेहनत का काम लगता है उनके लिए ई-बाइक यानी बैट्री वाली साइकिल भी है. ये स्कूटर की रफ्तार से चलती हैं और इनसे थकावट भी नहीं होती. बस घर पहुंच कर इसकी बैट्री चार्ज करना न भूलें. अच्छी ई-बाइक की कीमत करीब एक लाख रुपये तक भी हो सकती है.
बायो ईंधन
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए पेट्रोल और डीजल के नए नए विकल्प खोजे जा रहे हैं. बायो डीजल भी इन्हीं में से एक है. इसे कई तरह से बनाया जाता है. जर्मनी में कुल खपत का पांच फीसदी हिस्सा बायो डीजल का है.
शोर से परेशानी
हवा के साथ साथ ध्वनि प्रदूषण से निपटना भी जरूरी है. डॉक्टरों का कहना है कि गाड़ियों से होने वाले शोर के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल पर बुरा असर भी पड़ता है. इसे कम करने के लिए नए जमाने की कारों और ट्रेनों में भी ऐसे पहिए लगाए जा रहे हैं जो कम शोर करते हैं.
बढ़ता प्रदूषण
परिवहन के साधन हमारे जीवन को आसान तो बना रहे हैं, पर इनसे होते नुकसान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. जैसे जैसे गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, वैसे वैसे हवा में जहरीली गैसों की मात्रा में भी इजाफा हो रहा है जो पृथ्वी का तापमान बढ़ा रही हैं.