1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ब्लैक बॉक्स मिला, जांच में लगेंगे कई सप्ताह

२५ मई २०१०

भारतीय जांच अधिकारियों को मैंगलोर में दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है. फ़्लाइट डिजीटल रिकॉर्डर से 158 लोगों की जान लेने वाले हादसे के कारण पता करने में मदद मिलेगी.

https://p.dw.com/p/NWJN
तस्वीर: AP

शनिवार को दुबई से मैंगलोर आ रहा विमान हवाई पट्टी पर उतरने के बाद रनवे से बाहर निकल कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. उसके तुरंत बाद से जांच अधिकारी ब्लैक बॉक्स की खोज कर रहे थे. आज दुर्घटनास्थल पर जमा पत्रकारों को मलबे से मिला ब्लैक बॉक्स दिखाते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के एक अधिकारी ने कहा, "यह ठीकठाक है. इससे जांच में बहुत मदद मिलेगी."

हादसे में बोइंग 737-800 विमान पर सवार 166 लोगों में से सिर्फ़ 8 की जान बची थी. जब दुर्घटना हुई, उस समय मौसम ठीक था, 6 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक दिखाई दे रहा था, विमान के पाइलट और कोपाइलट अनुभवी थे और कॉकपिट से किसी तकनीकी गड़बड़ी की भी कोई ख़बर नहीं दी गई थी. तब से दुर्घटना के कारणों के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं.

भारतीय अधिकारी हादसे के कारणों पर टिप्पणी करने से बचते रहे हैं लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि पाइलट से हुई गल्ती से इंकार नहीं किया जा सकता. हालांकि उन्होंने इस पर ज़ोर दिया था कि सर्बियाई मूल के ब्रिटिश पाइलट को 10 हज़ार से अधिक घंटों की उड़ान का अनुभव था.

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर रविवार को ही मिल गया था जिसमें कॉकपिट और एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल टावर के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड रहती है. लेकिन ब्लैक बॉक्स में टेक ऑफ़ से लेकर लैंडिंग तक सारी सूचना रिकॉर्ड रहती है. मैंगलोर के बाजपे एयरपोर्ट को पाइलटों के लिए मुस्किल एयरपोर्ट माना जाता है. पहाड़ी चोटी पर स्थित रनवे दूसरे एयरपोर्टों की तुलना में छोटा है और चारों तरफ से घाटियों से घिरा हुआ है. इसकी वजह से रनवे से बाहर जाना अत्यंत ख़तरनाक है.

अब ब्लैक बॉक्स को जांच के लिए दिल्ली भेजा जा रहा है, जहां नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अधिकारियों ने कहा है कि डेटा को डिकोड करने और उसका कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर से मिलान करने में कई सप्ताह लगेंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: उज्जवल भट्टाचार्य