ब्रिटेन: पीसीओ को बचाने की भावुक मुहिम
२८ अप्रैल २०१०ब्रिटेन के लोग लाल रंग के फोन बूथ से कतई अलग होने को तैयार नहीं है. पीसीओ से घटते फोन करने के चलन के बाद अब लोग यहां कला और कविताओं के प्रदर्शन करते करते हैं. बागवानी और कुकिंग की पत्रिकाएं भी यहीं से ख़रीदी जाती है. कोशिश किसी तरह लाल टेलीफोन बूथ को चलाए रखने और बचाने की हैं.
ऑक्सफ़ोर्ड के पास वॉटरपेरी नाम के गांव में जब ये ख़बर फैली की टेलीकॉम ऑपरेटर, बीटी इन फोन बूथ को गिराना चाहती है तो स्थानीय लोग इतने नाराज़ हो गए कि एक महिला ने अपने आप को बूथ से चेन के साथ बांधने की धमकी दे डाली.
बीटी पेफोन्स के जीएम जोन लम्ब कहते हैं कि, "एक किओस्क को चलाने के लिए हर साल औसतन 800 पाउंड लग जाते हैं. लेकिन ये रेड किओस्क ब्रिटेन की ब्लैक टैक्सी की तरह प्रसिद्ध हैं. यहां के लोगों की कई यादें इनके साथ जुड़ी हैं और इंग्लैंड की सुंदरता का भी ये एक अहम हिस्सा हैं. "
90 सेंटीमीटर चौड़े और 8 फुट 3 इंच ऊंचे इन बूथों को लाल रंग पोस्ट ऑफिस के लाल डिब्बों से मिला था. ये बूथ 1936 से इंग्लैंड की ख़ास पहचान बने हुए हैं. इन्हीं के ज़रिए बातचीत कर कई लोगों ने ज़िंदगी के अहम पड़ाव हासिल किए.
एक वक्त में नौकरी की जानकारी, यार दोस्तों से बातचीत और ख़ुशी-ग़म के अनुभव लाल रंग के बूथ पर ही मिले. साथ ही पर्यटकों की तस्वीरों का भी हिस्सा बनते चल गए. स्थानीय पार्षद ट्रिशीया हैलम कहती हैं कि, "ये ब्रिटेन की पहचान है और इसे अपने साथ रखना बेहद ज़रूरी है. "
आठ साल पहले ब्रिटेन में कुल 17,000 फोन बूथ थे. लेकिन अब ज़माना मोबाइल फोन का है लिहाज़ा फोन बूथ का कारोबार 58 प्रतिशत घाटे में चल रहा है. केवल 10 फ़ीसदी बूथों को महीने में सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल किया जाता है. इसके चलते जब बीटी ने इन बूथों को गिराने की बात सामने रखी, तो लोग नाराज़ हो गए.
लोगों का कहना है कि अगर कंपनी इन्हें नहीं चला सकती तो उनके हवाले कर दे. एसे में बीटी ने "अडॉप्ट किओस्क" नाम की योजना शुरू की. कंपनी के मुताबिक इस योजना से स्थानीय प्रशासन कम दामों पर लाल बक्सा ख़रीद सकता है, लोगों की ज़ुबान में कहें तो यादें सहेज कर रखी जा सकती हैं.
इस प्लान के चलते अगस्त 2008 से अब तक 1,118 फोन बूथों की ज़िम्मेदारी लोगों ने अपने हाथों में ले ली है. इंगलैंड के समरसेट इलाके में वेस्टबरी लब मेनडिप गांव में एक ऐसे ही किओस्क को विश्व का सबसे छोटा पुस्तकालय होने का खिताब तक मिल गया है.
पल्ली पार्षद बॉब डौलबी का मानना है कि, "इस छोटे से बक्से में अब बोलने से लेकर लिखित शब्दों तक के संचार के विभिन्न रूप देखने को मिलेंगे. ये किओस्क लोगों की मदद वैसे ही करता रहेगा जैसे अब तक करता आया है. "
रिपोर्ट: एजेंसियां/ श्रेया कथूरिया
संपादन: ओ सिंह