ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए ये होते हैं कुर्बान
सुंदरता निखारने वाले क्रीम, पाउडर और लिपस्टिक जैसी कई चीजों को हम तक पहुंचने से पहले जानवरों पर टेस्ट किया जाता है. टेस्टिंग के दौरान नुकसानदायक प्रतिक्रियाएं भी हो जाती हैं, जिससे कई बेजुबान जीव अपनी जान गंवा देते हैं.
जानवरों के हित में काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन पेटा के मुताबिक हर साल केवल अमेरिका में ही करीब 10 करोड़ जानवर कई प्रयोगों में दवाओं और कॉस्मेटिक उत्पादों की टेस्टिंग के कारण मारे जाते हैं. इनमें खरगोश, बिल्ली, चूहे, चिड़िया वगैरह शामिल हैं.
क्रीम, शैंपू, परफ्यूम, नेलपॉलिश और ऐसे कई सौंदर्य उत्पादों की टेस्टिंग चूहों पर होती है. स्तनधारी होने के कारण उत्पादों की इन पर प्रतिक्रिया इंसानों के जैसी ही होती है.
बिल्ली पर ज्यादातर न्यूरोलॉजिकल टेस्ट होते हैं. इनमें स्ट्रेस यानि तनाव संबंधी दवाओं का परीक्षण शामिल है.
मस्कारा और टूथपेस्ट जैसे कई उत्पादों का टेस्ट हैम्सटर, खरगोश, चूहे और ऐसे दूसरे जानवरों पर होता हैं.
लिपस्टिक का टेस्ट करने के लिए चूहों का मुँह खोलकर उनके मसूढ़ों पर उसे मला जाता है. परीक्षण में देखा जाता है कि चूहे के मसूड़े पर उससे छाले तो नहीं पड़ रहे.
शैम्पू की टेस्टिंग के लिए खरगोशों को एक मशीन में बंद करके उनकी आंखों की पलकों को हटाकर उनमें शैम्पू का रसायन डालते हैं. अगर वह आंशिक या पूर्ण रूप से अंधे हो जाए तो इसे इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता.