बैडमिंटन में भी चीन की दीवार
२३ अप्रैल २०१३दुनिया की दूसरी नंबर की बैडमिंटन खिलाड़ी और लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साइना ने चीनी खिलाड़ियों का जिक्र करते हुए कहा, "अगर आप एक या दो को किसी एक टूर्नामेंट में हरा भी दें तो अगले टूर्नामेंट में कुछ दूसरे आपके सामने होंगे. उन्हें बार बार हराना आसान नहीं है. चीन की दीवार को तोड़ना आसान नहीं है."
वरीयता के मामले में साइना फिलहाल चीन की ली सुएरुई और वांग यिहान के बीच सैंडविच सी बनी हुई हैं. ली पहले नंबर पर हैं तो वांग तीसरे पर. हर बड़े खिताब के लिए साइना को इन दोनों से जूझना पड़ रहा है. ओलंपिक में स्वर्ण और रजत पदक इन्हीं दोनों के बीच में बंटा. अन्य प्रतिष्ठित मुकाबलों में भी इन्हीं की जीत की संभावना बनी रहती है.
भारतीय बैडमिंटन स्टार के मुताबिक चीन के पास युवा और प्रतिभाशाली बैडमिंटन खिलाड़ियों की भरमार है. भारत में स्थिति ऐसी नहीं है, "हम भी ऐसा कर सकते हैं लेकिन हमारे पास ऐसा ढांचा नहीं है. उनके पास बहुत खिलाड़ी हैं."
चीनी खिलाड़ियों का वर्चस्व ऐसा गहरा चुका है कि बाकी देशों के खिलाड़ी किसी तरह इसे तोड़ना चाह रहे हैं. साइना कहती हैं, "मुझे खुशी है कि अलग अलग देशों की लड़कियां उन्हें हराने की कोशिश कर रही हैं और टॉप पर आना चाह रही हैं. लेकिन बाकी देशों की खिलाड़ियों के लिए निरंतरता के साथ वहां बने रहना मुश्किल भरा है."
फिलहाल शीर्ष पांच खिलाड़ियों में चौथे स्थान पर जर्मनी की यूलियाने शेंक और कोरिया की शुंग जी ह्यून हैं. लेकिन चीन के पास बढ़िया आठ खिलाड़ी हैं. साइना के मुताबिक चीनी खिलाड़ी कभी भी इस वरीयता को बदल सकते हैं, "जब आप बहुत ज्यादा खेलते हैं तो थकान भी होती है लेकिन उनके पास सात-आठ खिलाड़ी हैं. चाहे ये जीते या वो, आखिरकार जीत चीन की ही होती है. बाकी देशों के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना आसान नहीं है."
साइना फिलहाल मंगलवार से दिल्ली में शुरू हो रहे इंडिया ओपन की तैयारी में जुटी हैं. दो लाख डॉलर की पुरस्कार राशि वाले इस टूर्नामेंट में 22 देशों के 200 से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. बीते साल इंडिया ओपन में महिलाओं का सिंगल मुकाबला ली ने तो पुरुषों का उन्हीं के हमवतन शोन वांग हो ने जीता.
ओएसजे/एमजे (पीटीआई)