बेहतर किरदार तलाश रही हैं मंदिरा
२८ जून २०१४मंदिरा बेदी कहती हैं कि बढ़िया किरदार मिले तो उन्हें छोटे परदे पर काम करने में कोई दिक्कत नहीं है. "वह मेरा पहला प्यार है." कोई 20 साल पहले शांति धारावाहिक के जरिए अपना करियर शुरू करने वाली मंदिरा क्योंकि सास भी कभी बहू थी में निभाए गए निगेटिव किरदार से पीछा छुड़ाने के लिए अब बेहतर किरदार तलाश रही हैं. पेश है बहुमुखी प्रतिभा की धनी इस अभिनेत्री से बातचीत के प्रमुख अंश:
अनिल कपूर के धारावाहिक 24 की भूमिका कैसी लगी थी?
मैंने लंबे अरसे बाद किसी धारावाहिक में काम किया था. इससे पहले तक क्योंकि सास भी कभी बहू थी का निगेटिव किरदार मुझसे चिपक-सा गया था. मैं उससे पीछा छुड़ाना चाहती थी. इस धारावाहिक ने इसमें मेरी काफी सहायता की.
अब आगे छोटे परदे पर काम करना चाहेंगी?
जरूर. बेहतर किरदार मिले तो मुझे काम करने में कोई दिक्कत नहीं है. मुझे छोटे परदे से ही पहचान मिली थी. इसलिए आगे जब भी मौका मिलेगा, काम करती रहूंगी.
लेकिन बीच में कोई एक दशक तक आप छोटे परदे से दूर क्यों रही थीं?
मेरे पास इसकी अपनी वजहें थीं. इस बीच प्रस्ताव तो कई मिले, लेकिन मुझे कोई भूमिका जंची नहीं. इसलिए वापसी में लंबा वक्त लग गया. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
अभिनय के क्षेत्र में आपने लगभग बीस साल पूरे कर लिए हैं. पीछे मुड़ कर देखने पर कैसा लगता है?
मेरा सफर बेहद संतोषजनक रहा है. सबसे संतोष की बात यह है कि मेरी समकालीन तमाम अभिनेत्रियां अब परदे पर मां का किरदार निभा रही हैं. लेकिन मैं अब तक इससे बची हुई हूं. इस दौरान मैंने अपने भीतर की अभिनेत्री को जीवित रखा है.
आप अब फैशन डिजाइनर भी बन गई हैं. इस क्षेत्र में उतरने का ख्याल कैसे आया?
हां, मैंने साड़ियां डिजाइन की हैं. कई जगह शो भी किए हैं. अब देश में कई स्टोर खोलने की योजना पर काम कर रही हूं. किसी खास योजना के साथ मैं इस क्षेत्र में नहीं आई. दो साल पहले मैंने खुद अपने लिए कुछ साड़ियां डिजाइन की थीं और उनको पहना था. मेरे पति ने मुझे इस काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया. बाद में कुछ शो आयोजित किए गए. जब लोगों ने उन साड़ियों को हाथोंहाथ लिया तो मैंने गंभीरता से काम आगे बढ़ाया.
एक डिजाइनर के तौर पर कोई खास तमन्ना?
मैं अभिनेत्री रेखा के लिए साड़ी डिजाइन करना चाहती हूं. दूसरी कोई अभिनेत्री साड़ी में उनकी तरह नहीं फबती.
अभिनेत्री, डिजाइनर और होस्ट जैसी भूमिकाएं एक साथ कैसे निभा लेती हैं?
यह कोई बड़ी बात नहीं है. हर आदमी अपनी क्षमता के बारे में जान कर एक साथ कई मोर्चे पर कामयाबी हासिल कर सकता है. जरूरत है अपने भीतरी ताकत को समझने की.
आगे की योजना?
मैं किसी हड़बड़ी में नहीं हूं. घर-परिवार की जिम्मेदारी होने की वजह से एक वक्त पर ज्यादा चीजों के बारे में नहीं सोचती. कई प्रस्ताव सामने हैं. धीरे-धीरे उन पर फैसले लेती रहूंगी.
इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता
संपादन: महेश झा