बुद्धिमान ट्रैक्टर
२ अप्रैल २०१४कहीं इनकी मदद से किसान काफी तेजी से और बेहतर तरीके से काम कर पा रहे हैं, तो कहीं जीपीएस से जुड़ी ये ऑटोमेटिक मशीनें इंसानों की जगह ले रही हैं. जर्मनी में कृषि मशीनरी आकार में बड़ी और वजनी होती जा रही है. लेकिन आकार और वजन के साथ ये मशीनें इंटेलिजेंट और सटीक भी होती जा रही हैं. ये मशीनें अब और बेहतर खेत जुताई और बुआई कर सकती हैं और साथ ही फसल भी काट सकती हैं.
आसान कटाई
फसल कटाई वाकई आसान हो सकती है. शर्त सिर्फ यह कि विश्व के सबसे कुशल हार्वेस्टर से फसल काटें. ड्राइवर को सिर्फ ऑप्टिमाइजेशन रणनीति तय करनी होती है, तेज कटाई या ईंधन की बचत. बाकी काम कंप्यूटर करता है. यदि आप चाहें तो 12 मीटर चौड़े और 600 हॉर्स पॉवर वाले हार्वेस्टर को खुद चलने दे सकते हैं, जीपीएस की मदद से. क्लास ग्रुप के रोबैर्ट बेक बताते हैं, "इस हार्वेस्टर की खास बात ऑटोमैटिक है. इसका मतलब यह है कि हार्वेस्टर खुद एडजस्टमेंट कर लेता है और इस तरह ड्राइवर का बोझ हल्का कर देता है. भविष्य में हार्वेस्टर मशीनों में और ज्यादा ऑटोमैटिक फंक्शन डाला जाएगा. यानी मशीनों को एक दूसरे से जोड़ने का काम खेत में ही होगा. अनाज की लदाई का काम ऑटोमैटिक तरीके से होगा. मशीन खुद दूसरी मशीन के करीब जाएगी और कितना माल भरा जाएगा यह खेत पर ही तय होगा."
बड़ी मशीनें बड़े खेतों पर कुशल तरीके से काम कर सकती हैं. खेत जितना बड़ा होगा, किसान का काम उतनी ही जल्दी पूरा हो जाएगा. ट्रैक्टर में ईँधन की खपत कम होगी. नतीजा होगा कि कार्बनडायोक्साइड कम निकलेगी. उधर ट्रैक्टर लगातार अधिक कुशल होते जा रहे हैं. इस समय का सबसे ताकतवर ट्रैक्टर 25 टन का है और उसकी ताकत 700 एचपी है. उसका चार चेन वाला पहिया उसके वजन को बराबर बांटता है और फिसलन वाली जमीन पर भी उसे स्थिरता देता है. टायर वाले ट्रैक्टरों के मुकाबले जमीन पर उसका बोझ सिर्फ आधा रह जाता है. केस आईएच कंपनी के मिषाएल हैर्त्स बताते हैं, "हमारे केस आईएच क्वाडट्रैक की खासियत यह है कि वह खेत में चलते हुए जमीन को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता है. और यह चार एक दूसरे से स्वतंत्र पहियों के जरिए होता है जिनका क्षेत्र कुल मिलाकर 5.6 वर्ग मीटर है."
चूंकि चेन वाले पहिये टायर वाले पहियों की तुलना में दायीं ओर जमीन पर कम बोझ डालते हैं, वहां पौधों का विकास बेहतर होता है. और इसकी वजह से फसल भी ज्यादा होती है. इन मशीनों को एक दूसरे से जोड़ने का ट्रेंड जारी है.
इन मशीनों के हल में सेटेलाइट एंटीना लगा होता है जिसकी वजह से फाल को एकदम सटीक तरीके से लगाया जा सकता है. खेत में सीधे चलना भी संभव होता है, क्योंकि अंधेरे में भी ये मशीनें खुद चलती हैं. किसान डिसप्ले पर जरूरत के निर्देश देता है. लेमकेन प्राइवेट लिमिटेड के फ्लोरियान मुलर ने जानकारी दी, "टर्मिनल के जरिए हम फाल का कोण तय कर सकते हैं. और इसमें एक अतिरिक्त हाइड्रॉलिक सहारा भी लगा होता है. फाल की गहराई हाइड्रॉलिक तरीके से तय की जा सकती है, पूरी तरह से ऑटोमैटिक."
यदि कृषि मशीनों की बुद्धिमत्ता और उनका पर्यावरण के मुफीद होना किसानों का बोझ कम करता है तो यह अच्छी बात है. लेकिन उसका नुकसान भी है, खेती करने के लिए उतने लोगों की जरूरत नहीं रहेगी.
रिपोर्टः महेश झा
संपादनः आभा मोंढे