बीते दिनों की याद दिलाती तस्वीरें
जमाना बीत गया, जब तस्वीरें ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करती थीं. फोटोग्राफर रूडी माइजेल ने पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी में जो तस्वीरें ली थीं वो एक दूसरे से बहुत अलग नहीं दिखती हैं और उस जमाने की भूली बिसरी दास्तां कहती हैं.
छलांग लगाते जर्मन सपने
एक छोटा बच्चा कुछ दिन पहले पूरा हुए ऑटोबान ए 42 पर बेफिक्र अपनी पतंग उड़ा रहा है, जबकि पश्चिम जर्मन शहर डुइसबुर्ग के स्टील कारखानों की चिमनियां स्याह धुंआ निकाल रही हैं. युद्ध के बाद खुशहाल होते जर्मनी में प्रगति पर भरोसा, 1979 के माहौल को कैद करती तस्वीर.
पाए के पीछे
इंतजार, अलगाव और प्यार. इस तस्वीर में सब कुछ छुपा है, जो उन दिनों जर्मन दिलों को झकझोर रहा था. पूर्वी बर्लिन में 1980 में सिटी ट्रेन के स्टॉप पर बैठे कुछ लोग अपनी अपनी कहानी कह रहे हैं. प्रेस फोटोग्राफर रूडी माइजेल को देश के दोनों हिस्सों में जाने और तस्वीरे लेने का मौका मिला.
मकानों के बीच कीचड़
पूर्वी जर्मनी के हाले नॉयश्टाट में 1983 में बड़े पैमाने पर आधुनिक मकानों का निर्माण. इस तस्वीर में माहौल की विडंबना दिखती है. एक ओर ऊंचे ऊंचे रिहायशी मकान तो दूसरी और अधूरी सड़क पर बारिश का कीचड़ और उसमें पड़े गाड़ियों के टायरों के निशान.
खेलते बच्चे
रूडी माइजेल की तस्वीरों में पूरब या पश्चिम का अंतर नहीं दिखता. तस्वीरों में एकता, यही उनको चुनौती लगती थी. मैदान में खेलते बच्चों की यह तस्वीर 1980 में पश्चिम बर्लिन के क्रॉयत्सबर्ग इलाके में कभी रेलवे स्टेशन रहे अनहाल्टर बानहोफ के परिसर में ली गई है.
सौंदर्य और ताकत
कहां एक हसीन महिला और कहां मौत की कहानी कहने वाला सैनिक टैंक. रूडी माइजेल की इस तस्वीर में दो अलग अलग दुनिया एक दूसरे से टकराती लगती है. पश्चिम बर्लिन में यह तस्वीर 1980 में सेना दिवस के मौके पर ली गई थी. शीत युद्ध में इन हथियारों को ट्रॉफी की तरह पेश किया जाता था.
उदासी का समां
धूसर सड़कें और बारिश की बूंदाबांदी, माहौल पूर्वी जर्मन उदासी का. नीचे ट्राम की लाइनें, ऊपर से मेट्रो की लाइन और चौराहे पर मैग्जीन का कियॉस्क. रूडी माइजेल ने यह तस्वीर पूर्वी बर्लिन में ली थी. प्रेंसलॉवरबर्ग का ये इलाका आजकल पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है और लोगों से भरा होता है.